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November 28, 2020

मिथिला विभूति पर्व में सृष्टि की नृत्यांगना प्रियांशी मिश्रा एवं अन्य ने बांधा समा

दरभंगा: शनिवार को कवि कोकिल विद्यापति के निर्वाण दिवस पर विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत केदारनाथ कुमर के गाये गणेश वंदना के साथ हुई। जबकि सृष्टि फाउंडेशन की नृत्यांगना प्रियांशी मिश्रा ने विद्यापति की अगली पंक्ति के कवि मैथिली पुत्र प्रदीप की कालजयी रचना जगदंबा अहीं अबलंब हमर… गीत पर ओडिशी शैली में भाव नृत्य के माध्यम से कवि को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उपस्थित दर्शकों का मन मोह लिया।

इस नृत्य के माध्यम से जगदंबा के प्रति अगाध प्रेम को दर्शाते हुए नृत्यांगना ने अपनी भाव-भंगिमा से माता जगदंबा के विभिन्न रूपों माँ काली, लक्ष्मी, कल्याणी आदि को ओडिसी नृत्य के माध्यम से उपस्थापित कर दर्शकों का मन मोह लिया। प्रियांशी मिश्रा की प्रस्तुति काफी सराहनीय, अनुपम एवं मनोरम रही।

उद्धाटन सत्र के बाद सृष्टि फाऊंडेशन की ओर से मुग्धा श्रीवास्तव, प्रिया प्रभाकर और सौम्या कुमारी ने सामा चकेवा की प्रस्तुति दी। छोटे-छोटे बच्चों ने मिथिला की सभ्यता, संस्कृति व संस्कार के बेमिसाल नमूना पेश करने वाले सामा-चकेबा पर्व पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किया। मिथिला में भाई बहनों के अटूट स्नेह व प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाये जाने वाले सामा चकेवा पर्व पर आधारित नृत्य की प्रस्तुति के साथ नन्हे कलाकारो ने यह दर्शाने की कोशिश की जनक नन्दिनी सीता की जन्मस्थली मिथिला में भाइयों के कल्याण के लिए यह पर्व रक्षाबंधन और भ्रातृ-द्वितीया के बाद सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि इसमें बहनें भाइयों के कल्याण के लिए सामूहिकता का प्रदर्शन करते हुए अनेकता में एकता का संदेश प्रसारित करते हुए इस पर्व को लोक संस्कृति से सहज रूप में जोड़ती है।

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