जब पुलिस करती है सार्वजनिक तो फिर उत्पाद विभाग क्यों छिपाता है शराब मामले में की गयी कारवाई!
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दरभंगा: मामला शराब का है तो पकड़ ही लो, या पकड़ने के बाद मन हो तो अपने हिसाब से मैनेज भी कर लिये तो पूछने वाला कौन है! मीडिया के सामने भी न सार्वजनिक करना है और न पूछने पर बताना है।
सरकार की सख्ती पर दरभंगा में उत्पाद विभाग का शायद कुछ ऐसा ही रुख इनदिनों देखा जा रहा है। शराबबन्दी को सफल बनाने केलिए बिहार सरकार ने जहां पुलिस महकमे को शराब कारोबारियों के पीछे लगा रखा है, वहीं विशेष रूप से विशेषज्ञ विभाग उत्पाद विभाग भी खानापूर्ति करता दिखता है।
पर एक बड़ा अंतर पुलिस विभाग और उत्पाद विभाग में दिखता है। पुलिस द्वारा शराब कारोबारियों के खिलाफ की गयी कारवाई से मीडिया को नियमिय रूप से अवगत करवाया जा जाता है, पर उत्पाद विभाग जानकारी पूछने पर भी बताने से कतराता है। उत्पाद अधीक्षक से कईबार इस संबंध में बात करने का प्रयास किया गया। मीडिया प्रतिनिधियों का नम्बर भी लिया गया और सूचना देने की बात कही गयी। पर सूचना देना तो दूर, अपने सूत्रों से जानकारी मिलने पर भी मीडिया के सामने कारवाई की जानकारी देने से विभाग के कर्मी कतराते रहते हैं। कहाँ कब पकड़ा गया, इसे छिपाने की मंशा स्पष्ट दिखती है।
रविवार को एक व्यक्ति को हिरासत में लेकर मेडिकल जांच केलिए ले जाया जा रहा था। पूछने पर बताया गया कि ऑटो में शराब के साथ पकड़ा गया है। पर कहाँ से कितना, और कब कैसे ये बताने को कोई तैयार नही था।
आधी अधूरी जानकारी और आरोपी के बयान से यही पता चला कि वह सीतामढ़ी के जिले का रहने वाला मुकेश सिंह है जो चिकित्सीय कार्य से आया था। एक ऑटो को देखकर हाथ दिया और बैठ गया। उत्पाद विभाग की टीम ने ऑटो को रोका तो ऑटो ड्राइवर भाग गया। खुद को बेकसूर कहने वाला मुकेश सिंह पकड़ा गया क्योंकि ऑटो में शराब था।
शराब कहाँ से कब पकड़ाया, कितना पकड़ाया, उक्त व्यक्ति के बयान पर संबंधित विभाग का पक्ष, ये सब कोई बताने को तैयार नही था। उसे लेकर जाने वाले एक कर्मी ने इतना बताया कि उसे नही मालूम, वह मेडिकल जाँच केलिए बहादुरपुर पीएचसी ले जा रहा है।
यह कोई पहला मामला नही है जिसमे उत्पाद विभाग का ऐसा रवैया सामने आया है। एक तरफ जहां पुलिस अपनी उपलब्धि शराब के मामले में सार्वजनिक करती है, वही बिहार सरकार का ही जिम्मेवार विभाग इसे छिपाता क्यों है! क्या मीडिया में मामले के आ जाने के बाद मनमुताबिक मैन्युपुलेशन न कर पाने का डर है!
ऐसे में सवाल तो उठेंगे ही, पर देखने वाली बात होगी कि इन उठते सवालों पर जिम्मेवार पक्ष का जवाब मिलता है या मामले को यूं ही रफा दफा करके मनमुताबिक मैन्युपुलेशन की छूट उत्पाद विभाग को मिली ही रहती है!
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