Home Featured दरभंगा राज के ट्रस्टी एवं परिवार के सदस्यों पर जनता का हिस्सा लूट खाने का आरोप, सीबीआई जांच की मांग।
February 26, 2021

दरभंगा राज के ट्रस्टी एवं परिवार के सदस्यों पर जनता का हिस्सा लूट खाने का आरोप, सीबीआई जांच की मांग।

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दरभंगा: दरभंगा राज के अंतिम महाराज कामेश्वर सिंह की मृत्यु के पश्चात गठित ट्रस्ट द्वारा बरती गयी अनियमितताओं एवं संपत्ति के लूट खसोट की चर्चा तो अक्सर होती रहती है। कानूनों को ताक पर रखकर नहरों को भरने और रामबाग की जमीन बेचे जाने को लेकर दो वर्ष पूर्व सर्वदलीय आंदोलन भी हो चुका है। आंदोलन के उपरांत तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ0 चंद्रशेखर सिंह द्वारा रामबाग की रजिस्ट्री पर रोक का आदेश भी दिया गया था। अब इन अनियमितताओं की सीबीआई जांच की मांग भी उठने लगी है।

इन्ही मांगो को लेकर शुक्रवार को जदयू शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ0 राम मोहन झा के नेतृत्व में दरभंगा के प्रमंडलीय आयुक्त के समक्ष आयुक्त कार्यालय के निकट एक दिवसीय धरना का आयोजन किया गया। धरना के माध्यम से मुख्य रूप से दरभंगा महाराज की मृत्यु के बाद बने ट्रस्ट द्वारा बरती गयी अनियमितताओं की सीबीआई जांच की मांग की गयी।

इस सम्बंध में जानकारी देते हुए डॉ0 झा ने बताया कि महाराज कामेश्वर सिंह द्वारा उनकी मृत्यु से पूर्व 05.07.1961 को वसीयत बनवाया गया था, जिसमें उन्होंने कुल संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा जन कल्याणार्थ खर्च करने का प्रावधान किया था। परंतु राज के ट्रस्टी एवं राज परिवार के सदस्यों द्वारा लूट खसोट कर लिया गया।

उन्होंने मांग की है कि दरभंगा राज की जितनी भी जमीन एवं संपत्ति देश के विभिन्न हिस्सों में है, सबका हिसाब लिया जाय। दरभंगा राज के सभी एकाउंट का ऑडिट होना चाहिए। दरभंगा राज की जितनी भी जमीन बिक्री हुई है, वह सही दाम में बिक्री हुआ है या नही, तथा उसका पैसा कहाँ है। साथ ही राज के सोने चांदी एवं हीरे जवाहरात कहाँ है, सबका हिसाब लिया जाय।

उन्होंने बताया कि पारिवारिक समझौता के अनुसार दरभंगा रामबाग की जमीन किसी बाहरी आदमी को ट्रांसफर या बेचा नही जा सकता है। परंतु रामबाग की जमीन तथा कई तालाबों को भरकर बाहरी लोगों से करोड़ो रूपये लेकर बेच दिया गया।

दरभंगा महराज की प्रमुख संपत्तियों के सम्बंध में डॉ0 झा ने बताया कि जनकल्याणार्थ दरभंगा राज का सुगर मिल, जिसमे सकरी एवं लोहट चीनी मिल भी शामिल था, उसे भी कौड़ियों के भाव मे बेच दिया गया। इसके अलावा कोलकाता के 42 चौरंगी, राधा बाजार, पटना के आर्यावर्त, इंडियन नेशन आदि को भी कौड़ियों के भाव मे बेच दिया गया। इसी तरह कामेश्वर नगर को मिथिला विश्वविद्यालय को कम मूल्य का अग्रीमेंट कर दिया गया। यदि सही मूल्य लिया जाता तो उसका एक तिहाई जनकल्याणार्थ खर्च होता।

उन्होंने आरोप लगाया कि अनियमितताओं को दबाने केलिए वर्तमान में भूमाफियाओं द्वारा राज अभिलेखागार के कई महत्वपूर्ण रिकार्ड्स को नष्ट कर दिया गया।

1999 में विधानसभा तथा विधान परिषद में उपरोक्त बिंदुओं की जाँच के लिए डॉ0 रामचन्द्र पूर्वे, शकील अहमद, अनिरुद्ध प्रसाद, भोला प्रसाद सिंह, डॉ0 नीलाम्बर चौधरी, राम कृपाल यादव सहित कई सदस्यों ने मांग उठाया था। तत्कालीन मंत्री रमई राम द्वारा दरभंगा के जिलाधिकारी से प्रतिवेदन मंगाकर सदस्यों को जवाब दिया गया था। परंतु राज परिवार के दवाब में इन बिंदुओं को दबा दिया गया।

धरना को सम्बोधित करते हुए अन्य वक्ताओं ने भी कहा कि यदि 15 दिनों के अंदर मांगो पर सुनवाई नही हुआ तो राज के ट्रस्टी एवं राज परिवार के सदस्यों का घेराव किया जाएगा। कारवाई नही होने पर रामबाग किले का घेराव तथा विशाल धरना प्रदर्शन किया जाएगा।

धरनार्थियों में भरत राय, नवीन खट्टीक, भगवान प्रसाद सिंह, डॉ0 कुशेश्वर सहनी, प्रो0 ज्योति रमन झा, चन्द्र मोहन चौधरी, मनोज कुमार झा, श्याम कुमार झा, गोनू राम, राम शंकर राम, अमित खंडेलवाल, मनोज कुमार चौधरी, रंजीत कुमार झा आदि शामिल थे।

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