बच्चों ने दिया पशुओं के प्रति मानवता का परिचय।
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दरभंगा: बच्चे मासूम होते हैं और मानवता का भाव उनमें अपेक्षाकृत अधिक होता है। ऐसा ही कुछ उदाहरण शहर के बंगालीटोला मुहल्ले में देखने को मिला जब चार बहादुर बच्चों ने मिलकर एक बिल्ली के अनाथ हो चुके तीन बच्चों को न सिर्फ सहारा दिया, बल्कि अभिभावकों की तरह उनका पूरा ख्याल भी रख रहे हैं।
शहर के बंगालीटोला मुहल्ले में एक बन्द घर के पास मंगलवार की देर रात एक बिल्ली ने तीन बच्चों को जन्म दिया। बुधवार की सुबह बगल में रहने वाले बच्चों की नजर उन बिल्ली के नवजात बच्चों पर पड़ी। काफी देर तक बिल्ली नही लौटी और नवजात भूख से तड़प रहे थे। बाद में पता चला कि कुछ कुत्तों ने बिल्ली को मार दिया है। बिल्ली के बच्चे अनाथ हो चुके थे।
इस बात को सुनकर वहीं बगल में रहने वाले जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष वीरेंद्र झा की पुत्री आदया, उनके भतीजे श्रीमन और नमन ने बिल्ली के बच्चों की देखभाल करने का निश्चय किया। उनके पड़ोस में रहने वाली एक बच्ची स्मृति ने भी उनका साथ दिया। सारा दिन बच्चों को दूध आदि पिलाने और देखभाल करने के बाद शाम होने पर उनकी चिंता बढ़ गयी। तीनों ने मिलकर बिल्ली के नवजातों को अपने घर लाने का निश्चय किया।
घर लाने की बात पर बच्चों के अभिभावकों ने पहले मना कर दिया। परंतु बच्चों की जिद के आगे बाद में उन्हें झुकना पड़ा। बिल्ली के बच्चों को घर लाकर आदया, नमन और श्रीमन ने मिलकर सारी रात जागकर बच्चों का ख्याल रखा।
बच्चों ने बताया कि उन्होंने निश्चय किया है कि इन अनाथ बच्चों को वे पालेंगे और फिर बड़े हो जाने पर उन्हें छोड़ देंगे।
वहीं बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष वीरेंद्र झा की पत्नी अर्पणा झा ने बताया कि पहले तो उन्होंने बच्चों को मना किया। पर बच्चों के लगाव और बिल्ली के मर जाने की बात सुनकर उन्होंने रखने की अनुमति दे दी। बच्चे भी पूरा ख्याल रख रहे हैं। साफ सफाई का भी ख्याल बच्चे खुद रख रहे हैं।
बच्चों द्वारा उठाया गया यह कदम निश्चित रूप से पशुओं के प्रति भी उनके मानवता का परिचायक है। ऐसे में आदया, नमन, श्रीमन एवं स्मृति जैसे बच्चों का हौसला बढ़ाने की जरूरत है, ताकि मानवता जीवित रहे।
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