Home Featured सीएम कॉलेज के संस्कृत विभाग तथा एनएसएस इकाई के द्वारा विश्व पृथ्वी दिवस पर वेबीनार आयोजित।
April 22, 2021

सीएम कॉलेज के संस्कृत विभाग तथा एनएसएस इकाई के द्वारा विश्व पृथ्वी दिवस पर वेबीनार आयोजित।

दरभंगा: मिथिलांचल को बाढ़ का नैहर कहा जाता है,पर इसे भी आज जल-संकट सहित अन्य प्राकृतिक आपदाओं से गुजरना पड़ता है। पर्यावरण संतुलन के लिए शेर सहित सभी प्रकार की जीव-जंतुओं तथा पेड़-पौधों का पृथ्वी पर सदा मौजूद रहना अनिवार्य है। हमें अपने हर कार्य को पृथ्वी के अनुकूल करना चाहिए।भौतिक विकास तथा पर्यावरण में संतुलन बनाकर ही हम पृथ्वी की रक्षा करने में समर्थ होंगे। उक्त बातें एमएलएसएम कॉलेज,दरभंगा के प्रधानाचार्य एवं प्रसिद्ध पर्यावरणविद् प्रो विद्यानाथ झा ने सी एम कॉलेज,दरभंगा के संस्कृत विभाग तथा एनएसएस इकाई के संयुक्त तत्वावधान में ‘विश्व पृथ्वी दिवस’ के अवसर पर आयोजित वेबीनार में मुख्य अतिथि के रूप में कही। उन्होंने ‘पृथ्वी दिवस : कितना सार्थक,कितना कारगर’ विषय पर ऑनलाइन अपना विचार रखते हुए कहा कि संस्कृत साहित्य एवं हमारी संस्कृति में प्राचीन काल से प्रकृति-रक्षा हेतु विभिन्न उपाय बताए गए हैं जो जनमानस में पर्यावरण के प्रति संवेदना बनाते हैं।सुरक्षित पृथ्वी हेतु हमें लुप्त हो रहे वृक्षों एवं जंतुओं को बचाना होगा अक्षय ऊर्जास्रोत और जैविक प्लास्टिक का उत्पादन बढाना होगा।हम केवल सरकारी योजनाओं पर ही निर्भर नहीं रहें, बल्कि स्वतःस्फूर्त भाव से पृथ्वी की रक्षा हेतु आगे आयें। पृथ्वी रक्षा हेतु पौधारोपण एक कारगर उपाय है।हमें विकास बनाम विनाश के बीच बेहतरीन रास्ता बनाना ही होगा,यही पृथ्वी दिवस की सार्थकता होगी।
विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के एनएसएस समन्वयक डा विनोद बैठा ने कहा कि पश्चिम चंपारण की तरह हर जिला में वृक्ष-रक्षक स्वयंसेवकों की टोली बने जो वृक्षों की कटाई रोके तथा नए पौधों को लगाने तथा रक्षा करने में सहयोग करें। उन्होंने गत वर्ष विश्वविद्यालय के चारों जिलों में एनएसएस द्वारा 36000 पौधे लगाए जाने की जानकारी देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में भी 1450 पौधे लगाए गए हैं जो जीवंत हैं। बिहार सरकार के चालू वर्ष में ढाई करोड़ पौधे लगाने के लक्ष्य को पूरा करने में एनएसएस स्वयंसेवक पूर्ण सहयोग करेंगे।
मारवाड़ी महाविद्यालय के एनएसएस पदाधिकारी डा अवधेश प्रसाद यादव ने कहा कि पृथ्वी को बचाने के लिए हमें नए नजरिए की जरूरत है और विकास की परिभाषा भी बदलनी चाहिए,ताकि समस्याओं के विकराल होने से पहले ही हम पृथ्वी की रक्षा कर अपने आपको बचा सके।
इस अवसर पर योगाचार्य एवं प्राकृतिक चिकित्सक डा शंभू मंडल ने कहा कि मानव पृथ्वी पर सर्वाधिक बुद्धिमान जीव है जो सर्वाधिक प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करता है और उसने अपने लोभ-लालच में अपने अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया है।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रधानाचार्य प्रो विश्वनाथ झा ने कहा कि संस्कृत साहित्य में पृथ्वी-रक्षा के विविध उपाय बताए गए हैं जो आज भी प्रासंगिक हैं।धरती हमारी माता का दृश्य है,जिसपर हम जन्म लेकर,पलते व बढ़ते हैं और अंततः उसीमें समाहित हो जाते हैं।आज हम अपने ही गलत क्रिया-कलापों के कारण सर्वाधिक विपति-काल से गुजर रहे हैं।प्रधानाचार्य ने कहा कि सी एम कॉलेज के 4 कट्ठे जमीन में पौध-नर्सरी लगाया जाएगा तथा इस वर्ष नवंबर तक कॉलेज के पश्चिम स्थित वृहद परिसर में 5000 पौधे लगाए जाएंगे। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त कि आज छात्रों द्वारा अपने जन्म दिवस व अन्य शुभ अवसरों पर तथा अतिथियों के आगमन पर परिसर में वृक्षारोपण किया जा रहा है।
आगत अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवेश कराते हुए संस्कृत विभागाध्यक्ष डा आर एन चौरसिया ने कहा कि 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस 1970 से ही पूरे विश्व भर में पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से मनाया जाता है,जिसमें आज 195 देश शामिल हैं।इस वर्ष का थीम ‘रिस्टोर आवर अर्थ’ अर्थात् पृथ्वी को पुनःस्थापित करें है।आज पृथ्वी हमारी गलतियों एवं भूलों के कारण गंभीर संकट से गुजर रही है।अपने-आपको बचाने हेतु हम सबों को पृथ्वी का रक्षक बनना ही होगा,क्योंकि हर वर्ष भारत प्रदूषण के कारण 2 लाख करोड़ रुपए का नुकसान उठा रहा है,जबकि यहाँ गंदा पानी पीने से प्रति 8 सेकेंड में एक बच्चा की मृत्यु हो जाती है। संस्कृत साहित्य में धरती को माता माना गया है,जिसके पर्यावरण चेतना को अपनाकर हम पृथ्वी को सुरक्षित रख सकते हैं।
वेबीनार में स्वयंसेवक उत्कर्ष मिश्रा ने पृथ्वी-सुरक्षा संबंधित कविता-पाठ किया,जबकि राजकुमार गणेशन,अंशु कुमारी,डा अंजू कुमारी,डॉ अमिता,प्रेरणा नारायण,बालकृष्ण प्रसाद सिंह,ज्योति कुमारी,कौशर फरहाना,कुमार संजीव,लाल बहादुर यादव,पूजा कुमारी,मुनीरा खान,प्रियंका कुमारी,सवाना जासमीन,विजय कुमार पंडित, विक्रम कुमार,आदित्य आनंद,अमरजीत कुमार,अनिकेत भारद्वाज,अंजली राज,अरबाज खान आदि ने सक्रिय रूप से योगदान किया।
कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन करते हुए एनएसएस पदाधिकारी प्रो रितिका मौर्या ने कहा कि हमें अपने ईगोसिस्टम को छोड़कर इकोसिस्टम अपनाना चाहिए,तभी पृथ्वी की सुरक्षा होगी। हमें विरासत के रूप में प्राप्त पृथ्वी को सुरक्षित अगली पीढ़ी को प्रदान करें,अन्यथा वे हमें माफ नहीं करेगी।

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