कुलपति ने किया मैथिली शोध-पत्रिका का विमोचन।
दरभंगा: शोध-पत्रिका किसी भी भाषा का हो, साहित्य के विकास मे उसका बड़ा ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। जहाँ तक ‘मैथिली’ शोध-पत्रिका की बात है तो इसका तो और भी महत्त्व इसलिये भी है कि यह मिथिला की पावन धरती से प्रकाशित होती है जिसमे यहाँ की संस्कृति- सभ्यता, आचार-विचार , साहित्यिक विमर्श, गवेषणात्मक प्रवृत्ति इत्यादि का द्योतक होता है। इस शोध-पत्रिका का जितना पुराना इतिहास है वह सिद्ध करता है कि विभाग के लोग कर्मठता और निष्ठा से काम करते हैं। अकेले विभागाध्यक्ष सब काम नहीं कर सकते हैं, सबों के सहयोग से ही वे विभाग को आगे बढ़ाते हैं, जैसे एक लकड़ी उतना मजबूत नहीं होता है किन्तु उसका गठ्ठर बहुत ही मजबूत होता है। ये बातें मैथिली के विमोचन के अवसर पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने कही। उन्होंने मैथिली विभाग के विकास के लिए हर संभव मदद करनेकी बात कही। विद्यापति चेयर की स्थापना के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि आप लोग ईमानदारी और निष्ठा से काम करेंगे, उसके फण्ड का अन्य भाषाओं में अनुवाद के साथ साथ अन्य एकेडमिक कार्यों में उपयोग करेंगे। डा. वैद्यनाथ चौधरी ‘बैजू’ ने माननीय कुलपति से ‘विद्यापति चेयर’ की स्थपना की मांग की। उन्होंने कहा कि इसके लिए विश्वविद्यालय को आर्थिक व्यय करने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके लिए पैसे की कमी नहीं होने देंगे। पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रमण झा ने कहा कि इस शोध-पत्रिका का पहला अंक 1996ई. में छपा था तथा इसमे 2007 से निरन्तरता बनी हुई है।उन्होंने कहा कि इसे 2010 में ISSN भी मिल चुका है तथा इसे UGC के रेफर्ड जर्नल में जोड़ने के लिये विश्वविद्यालय द्वारा अनुशंसा भेजा जा चुका है। इस अवसर पर निवर्तमान विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष प्रो. प्रीती झा, मैथिली विभागाध्यक्ष प्रो. रमेश झा, प्रो. दमन कुमार झा, प्रो.अशोक कुमार मेहता आदि उपस्थित थे।
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