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June 28, 2021

मैथिली को समृद्ध बनाने में यहां विद्वानों का बड़ा योगदान: कुलपति।

दरभंगा: मैथिली एक समृद्ध भाषा है और इसे समृद्ध बनाने में यहां के विद्वानों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। भाषा के विकास से ही क्षेत्र का विकास होता है। ये बातें सोमवार को लनामि विवि के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने प्रो. रमण झा कृत ‘पारिजात – मंजरी के विमोचन के अवसर पर कही। कार्यक्रम का आयोजन कुलपति के आवासीय कार्यालय में हुआ। कुलपति ने क कि आज संस्कृत जैसी विकसित-परिष्कृत भाषा लोगों की उदासीनता के कारण ही उपेक्षित होती दिखई देती है। संस्कृत के नाम पर कई विश्वविद्यालय और महाविद्यालय हैं जहां छात्रों की संख्या दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है। हमें मिलकर मैथिली के विकास के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने छात्रों तथा शिक्षकों के लिए इस पुस्तक को उपयोगी बताते हुए कहा कि यह विशेषत: शोधकर्ताओं के लिए लाभप्रद होगा क्योंकि इसमें अनेक शोध-आलेख संगृहीत हैं तथा इस विश्वविद्यालय से मैथिली में प्राप्त शोधोपाधि की सूची भी विषयों के साथ संकलित है। इससे उसके पांच गुना शोध के विषय दृष्टिपथ पर आ सकेंगे। मैं चाहता हूं कि हरेक विषय में इस तरह की सूची तैयार होनी चाहिए जिससे यहां के शोधार्थियों को मार्गदर्शन मिलता रहे। उन्होंने बैद्यनाथ चौधरी के मैथिली के प्रति समर्पण को सराहते हुए कहा कि ऐसे ही कर्मठ और भाषानुरागी व्यक्तियों के कारण आज मैथिली सशक्त भाषा के रूप में प्रतिष्ठित होती दिखाई देती है। कुलपति विश्वविद्यालय के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यन्त तत्परता से काम करते हैं। उन्होंने कुलपति से मिथिला विभूति पर्व के अवसर पर ‘विद्यपति चेयर की स्थापना की मांग की। पूर्व विभागाध्यक्ष तथा ‘पारिजात-मंजरी के रचनाकार प्रो. रमण झा ने कुलपति के प्रति आभार प्रकट किया। विभागीय शिक्षक प्रो. अशोक कुमार मेहता के सस्वर समसामयिक गान से कार्यक्रम का समापन हुआ। इस अवसर पर मैथिली विभागाध्यक्ष प्रो. रमेश झा, प्रो. दमन कुमार झा, अनिल कुमार, प्रवीण कुमार झा, लाल बाबू यादव आदि उपस्थित थे।

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