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July 10, 2021

एयरपोर्ट का श्रेय लेने की होड़, पर बगल में अवस्थित बस स्टैंड के दुर्दशा की जिम्मेवारी लेने वाला कोई नहीं!

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दरभंगा: दरभंगा एयरपोर्ट के तरक्की और इसे लेकर शहर के हवा हवाई विकास के दावे जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रतिदिन अखबारों में दिखाए जाते हैं। पर केवल हवा में उड़कर आने और जाने से ही शायद विकास संभव नही हो जाता। जमीन पर की भी मूलभूत समस्याओं को दूर करना होता है, क्योंकि उड़ने केलिए जाने और उड़कर आने के बाद भी जमीन पर ही आवागमन करना होता है। परंतु शायद दरभंगा के प्रतिनिधियों को हवा में उड़ना ही विकास का परिचायक लगने लगा है। इसी का परिणाम है कि न आजतक जाम से त्रस्त शहर में एक भी ओवरब्रिज बना और न तरक्की के कथित मिसाल बने एयरपोर्ट के निकट अवस्थित बस स्टैंड की हालत सुधरी।
कादिराबाद जैसे भीड़भाड़ वाले इलाके से हटाकर दिल्ली मोड़ के निकट बस स्टैंड को ले जाने से लोगों को उम्मीद बनी कि वृहद जगह पर और एयरपोर्ट के निकट होने के कारण बस स्टैंड का हाल बदलेगा और नयी नयी यात्री सुविधाएं भी बढ़ेगी। पर यहां बढ़ना तो दूर, मूलभूत सुविधाएं भी मयस्सर नहीं है। स्टैंड की हालत नारकीय बनी हुई है। हल्की बारिश में भी झील जैसा नजारा उतपन्न हो जाता है। जलनिकासी की कोई समुचित व्यवस्था नही रहने के कारण जलजमाव कई दिनों तक बना रहता है। चलने लायक रास्ते का लेन नही होने और कच्चा रास्ता होने के कारण कीचड़-पानी मे लोग चलने को मजबूर होते हैं। दुर्गंध और सड़ांध से लोग अलग परेशान होते हैं।
यात्रा करने पहुँचे एक यात्री गजेंद्र शर्मा ने बताया कि बंदोबस्ती के नाम पर प्रतिदिन 20 से 25 रुपये की वसूली होती है। पर सुविधा के नाम पर कुछ भी नही है। लोग पानी और कीचड़ में चलने को मजबूर हैं। कई बच्चों और बुजुर्गों को उन्होंने खुद गिरते पड़ते भी देखा है। न पीने के पानी और न ही शौचालय की समुचित व्यवस्था है। यात्री शेड भी नही है। एक आधा अधूरा निर्मित यात्री शेड कई महीनों से दिख रहा है। पर आजतक यात्री शेड भी नही बना।
बस स्टैंड की ऐसी दुर्दशा देख सहज समझा जा सकता है कि एयरपोर्ट पर देश दुनिया से आने के बाद बस स्टैंड की तरफ रुख करते ही लोग दरभंगा केलिए कैसी छवि मन मे लिए जाएंगे। और कहीं यदि शहर के बीच से निकलना पड़ा तो हवाई जहाज का सारा आराम दरभंगा से लहेरियासराय पहुँचने में जाम को झेलते ही काफूर हो जाएगा। ऊपर से यदि रेलवे गुमटी जाम मिला तो दिल्ली से दरभंगा तक की जो दूरी उन्होंने हवाई जहाज से पूरी की, उससे ज्यादा समय दरभंगा से लहेरियासराय पहुंचने में लग जायेगा।
अब देखने वाली बात होगी कि दरभंगा के जनप्रतिनिधियों का ध्यान केवल हवाई यात्रा को ही सरल बनाकर विकास का दावा ठोकने में रहता है, या जमीन पर उतरने के बाद चलने की व्यवस्था को भी सुदृढ़ बनाने में ही कार्य किया जाएगा।

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