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July 28, 2021

नवविवाहिताओं के प्रसिद्ध लोकपर्व मधुश्रावणी की हुई शुरुआत।

दरभंगा: मिथिलांचल का प्रसिद्ध लोकपर्व मधुश्रावणी बुधवार से शुरू हो गया। सावन आते ही विभिन्न पर्व त्योहारों का दौर शुरू हो जाता है। मधुश्रवणी पर मिथिलांचल की अनेक सांस्कृतिक विशेषताओं में से एक इस त्योहार को नवविवाहिताएं आस्था और उल्लास के साथ मनाती हैं। यह व्रत अपने सुहाग की रक्षा और धर्म में मर्यादा के साथ जीवन निर्वहन के लिए रखा जाता है। वैदिक काल से ही ऐसी मान्यता है कि पवित्र सावन माह में निष्ठापूर्वक नाग देवता की पूजा करने से दंपती के जीवन की आयु लंबी होती है। सुंदरपुर निवासी पंडित प्रभाकर झा बताते हैं कि व्रत पंद्रह दिनों का होता है और पूजन टेमी के साथ संपन्न होता है। नवविवाहिता ने अपनी सखियों के साथ मधुर भक्ति और प्रकृति पारंपरिक गीत गाते हुए संध्या बेला फूल लोढ़ने फुलवारी निकल जाती हैं। इस व्रत में बासी फूल चढ़ाने की परंपरा है। यह पर्व नव दंपतियों के लिए एक तरह का मधुमास है। इस बार यह पर्व श्रावण कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से आरंभ होकर सावन शुक्ल पक्ष तृतीया यानी 11 अगस्त को टेमी के साथ संपन्न होगा। बुधवार से शुरू हुए इस व्रत को नाग पंचमी, मौना पंचमी और मनसा देवी पूजन के रूप में भी जाना जाता है। मधुश्रावणी पर्व में गौरी-शंकर की पूजा होती है। साथ ही, विषहरी और नागिन की भी पूजा होती है। प्रथा है कि इन दिनों नवविवाहिता ससुराल से आए हुए कपड़े और गहने ही पहनती हैं। भोजन, फलाहार भी ससुराल से ही भेजे जाते हैं। नवविवाहिताएं प्रकृति की अद्भुत अनुपम भेंट पुष्प पत्र आदि को एकत्रित करती हैं और मिट्टी के नाग-नागिन, हाथी बनाकर दूध-लावा के साथ विशेष पूजन के द्वारा कथा श्रवण करती हैं।

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