Home Featured सीटीईटी के प्रकाशित विज्ञापन में मैथिली की अनदेखी पर विद्यापति सेवा संस्थान ने जताई नाराजगी।
September 30, 2021

सीटीईटी के प्रकाशित विज्ञापन में मैथिली की अनदेखी पर विद्यापति सेवा संस्थान ने जताई नाराजगी।

दरभंगा: भारत सरकार के द्वारा पहली से आठवीं कक्षा तक के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) के प्रकाशित विज्ञापन में मैथिली को शामिल नहीं किए जाने पर विद्यापति सेवा संस्थान ने गहरी नाराजगी जताई है। गुरुवार को ई-मेल एवं पंजीकृत डाक से केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भेजे आपत्ति पत्र में संस्थान की ओर से कहा गया है कि शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रकाशित विज्ञापन में संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल मैथिली भाषा की एक बार फिर से अनदेखी किए जाने से आठ करोड़ मैथिली भाषी काफी आहत हुए हैं और वे इसे अपनी मातृभाषा का अपमान मानते हैं।

जानकारी देते हुए संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि यह अत्यंत निंदनीय है कि केंद्र की सरकार मैथिली भाषियों को बार-बार ठगने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि विगत वर्ष भी केंद्रीय शिक्षकों की नियुक्ति में मैथिली भाषी शिक्षकों की केंद्र सरकार ने अनदेखी की थी। इसके लिए स्थानीय सांसद सहित विभिन्न संगठनों ने तत्कालीन शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से इस भूल सुधार के लिए गुजारिश की थी और मंत्री के आश्वासन के बावजूद इस इस बार भी प्रकाशित विज्ञापन में मैथिली को शामिल नहीं किया जाना किसी सोची समझी साजिश का हिस्सा जान पड़ती है।

उन्होंने कहा कि इस कृत्य से एक बार फिर यह साबित हो गया है कि मैथिली के प्रति सरकारी स्तर पर गंभीर षड्यंत्र चल रहा है और मिथिला एवं मैथिली के विकास के नाम पर ऐसी ओछी राजनीति की जा रही है जैसे मिथिला और मैथिली के प्रति सरकार की नजर में कोई कद्र ही नहीं हो। उन्होंने कहा कि सरकार यदि समय रहते भूल सुधार नहीं करती है तो इसके लिए तीव्र आंदोलन का रूख अख्तियार किया जाएगा।

मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल बिहार की एकमात्र भाषा मैथिली के साथ ऐसा कर उसकी प्रगति में सोची-समझी राजनीति के तहत बाधा उत्पन्न किया जा रहा है। इसे राज-काज की भाषा बनाये जाने में कोताही बरतने के साथ ही मैथिली के शिक्षकों की बहाली में बार-बार नियम-कानूनों की अवहेलना कर मिथिला वासी एवं मैथिली भाषी प्रतिभा का घोर अपमान किया जा रहा है।

प्रो जीवकांत मिश्र ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि मैथिली भाषा के समग्र विकास में यदि कोई रोड़ा डालेगा तो मिथिलावासी चैन से नहीं बैठेंगे और सड़क से लेकर संसद तक आंदोलन चलाया जाएगा। महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा ने भारत की मधुरतम और सम्पन्न मैथिली भाषा को नज़र अंदाज किए जाने को दुःखद बताया।

संस्थान के मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने केंद्रीय मंत्री का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए कहा कि मैथिली भाषा संविधान के अष्टम अनुसूची में शामिल है तथा केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2018 में सीबीएसई के आठवीं कक्षा के आगे की कक्षाओं के पाठ्यक्रम में भी मैथिली विषय के रूप में शामिल किया गया है। बावजूद इसके मैथिली की अनदेखी निंदनीय है। उन्होंने मैथिली भाषा के शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) में मैथिली को अविलंब शामिल करने का अनुरोध किया। सरकार के इस निर्णय पर विनोद कुमार झा, प्रो विजय कांत झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढाभाई, आशीष चौधरी, चंदन सिंह, चौधरी फूल कुमार राय, दुर्गानंद झा, गनौर पासवान, जय नारायण साह आदि ने भी नाराजगी जाहिर की है।

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