पंचायत चुनाव खत्म के होते ही एमएलसी चुनाव की तैयारी में जुटे दावेदार।
दरभंगा: बिहार में पंचायत चुनाव अब पूरे हो चुके हैं। इसके साथ ही विधान परिषद चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। फिलहाल 24 खाली सीटों को भरने के लिए स्थानीय निकायों से एमएलसी के चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है।
निर्वाचन आयोग को सभी जिलों के नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों के विवरण प्राप्त हो चुका है। एमएलसी चुनाव के लिए निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधि जैसे ग्राम पंचायतों के वार्ड सदस्य, मुखिया, पंचायत समिति के सदस्य, वार्ड सदस्य और जिला बोर्ड के सदस्य के साथ ही शहरी स्थानीय निकायों के वार्ड सदस्य निर्वाचक मंडल के सदस्य होते हैं।
माना जा रहा है कि एमएलसी चुनाव में एनडीए और राजद के बीच सीधा मुकाबला होगा। पंचायतों में चुने गए प्रतिनिधियों को अपनी तरफ करने की कोशिश में दोनों तरफ के नेता कर रहे हैं।
बता दें कि इस साल 17 जुलाई 2021 को 19 विधान पार्षद रिटायर किये। वहीं तीन विधान पार्षद चुनाव लड़कर विधायक बन गये। वहीं दो विधान पार्षदों का निधन हो गया। इन्हीं 24 सीटों पर ये चुनाव होना है। जो 19 विधान पार्षद जुलाई 2021 में रिटायर किये उनमें राधाचरण साह, मनोरमा देवी, रीना यादव, संतोष कुमार सिंह, सलमान रागीब, राजन कुमार सिंह, सच्चिदानंद राय, टुनजी पांडेय, बबलू गुप्ता, दिनेश प्रसाद सिंह, सुबोध कुमार, राजेश राम, दिलीप जायसवाल, संजय प्रसाद, अशोक अग्रवाल, नूतन सिंह, सुमन कुमार, आदित्य नारायण पांडेय और रजनीश कुमार शामिल हैं।
मनोज कुमार, रीतलाल यादव, दिलीप राय विधान पार्षद थे जिन्होंने चुनाव लड़ा और उनके विधायक बनने के बाद अब ये 3 सीटें खाली हैं। वहीं हरिनारायण चौधरी और दरभंगा के एमएलसी सुनील कुमार सिंह का निधन हो गया था, जिसके बाद ये 2 सीटें खाली पड़ी है। अब कुल 24 सीटों पर चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों का मंथन भी चालू हो गया है। सीट बंटवारे को लेकर अब सभी गठबंधन आपस में विचार विमर्श कर रहे हैं।
मीडिया सूत्रों की माने तो दरभंगा सीट पर एनडीए की तरफ से जहां दावेदारों की संख्या अधिक है, वहीं महागठबंधन में ज्यादा दावेदारी फिलहाल दिख नही रही है। महागठबंधन की तरफ़ से इनदिनों उदय शंकर यादव द्वारा लगातार सक्रियता दिखायी दे रही है। ऐसा लग रहा है जैसे अंदरूनी तौर पर उन्हें कहीं हरी झंडी अथवा ठोस आश्वासन मिल चुका है। जिले में हर तरफ पोस्टर बैनर लग चुके हैं, वहीं जीते हुए पंचायत प्रतिनिधियों के साथ संपर्क अभियान भी लगातार वे चला रहे हैं।
बताते चलें कि खुद की छवि और राजद सुप्रीमो लालू यादव एवं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की नजदीकियों के साथ साथ राजद में कद्दावर पारिवारिक पृष्ठभूमि भी उनके लिए लिए बोनस साबित हो सकता है।
उदय शंकर यादव वर्ष 2012 से 2017 तक राजद के जिला महासचिव एवं 2017 से 2021 तक जिला उपाध्यक्ष के पद पर बने रहे। पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात करें तो 1995 में जनता दल से बहेड़ी विधायक बने स्व0 राम लखन यादव उनके दादा ससुर थे। वहीं 2005 में बहेड़ी विधानसभा से राजद के विधायक बने स्व0 हरेकृष्ण यादव उनके मामा थे। इस चुनाव में उदय शंकर यादव विधायक के सारथी की भूमिका में थे।
स्वच्छ छवि के अंतर स्नातक उदय शंकर यादव मूल रूप से बिरौल प्रखंड के नौडेगा के रहने वाले हैं। सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर भाग लेने के साथ साथ वे एक सफल व्यवसायी भी हैं। रियल स्टेट, हॉस्पिटल, होटल एवं ट्रांसपोर्टर के व्यवसाय में काफी मजबूत स्थान ये बना चुके हैं।
पंचायत चुनाव खत्म होते ही उन्होंने जिस प्रकार प्रचार प्रसार अभियान एवं जनप्रतिनिधियों के संग जनसंपर्क शुरू किया है, उससे संकेत तो यही मिल रहे हैं कि यदि कोई बड़ा उलटफेर नही हुआ तो इनकी दावेदारी सबसे मजबूत है।
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