Home Featured सरकारी चमत्कार: पिछले दो कोरोना लहर में जो थे मॉल, तीसरी लहर में बन गये दुकान।
January 11, 2022

सरकारी चमत्कार: पिछले दो कोरोना लहर में जो थे मॉल, तीसरी लहर में बन गये दुकान।

दरभंगा: कोरोना की तीसरी लहर भले पूरी दुनिया में त्रासदी ला रही हो, पर दरभंगा में एक बड़ा चमत्कार भी दिखा रही है। चमत्कार भी ऐसा कि बड़े बड़े शॉपिंग मॉल को दुकानों में परिवर्तित कर चुकी है। इसलिए शॉपिंग मॉल पूर्णतः बंद रखे जाने के गृह विभाग के आदेश के वाबजूद शॉपिंग मॉल धड़ल्ले से खुले हुए हैं। इसका बड़ा कारण यह है कि वर्तमान सदर एसडीएम की नजर में दरभंगा में कोई मॉल नही है, दुकानें हैं।

दरअसल, गत चार जनवरी को बिहार सरकार के गृह विभाग के द्वारा जारी कोविड गाइडलाइन के आलोक में जिला प्रशासन द्वारा शॉपिंग मॉल पूर्णतः बंद रखने का आदेश निर्गत है। इसके वाबजूद शहर के अधिकांश शॉपिंग मॉल खुले दिख रहे हैं। जबकि इससे पूर्व कोरोना

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की प्रथम एवं द्वितीय लहर में शॉपिंग मॉल बंद रखने के आदेश पर शहर के सभी मॉल बंद रहे थे।

इस बाबत जब सदर एसडीओ स्पर्श गुप्ता से प्रतिक्रिया पूछी गयी तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि दरभंगा में कोई मॉल है ही नही। सभी दुकानें हैं जो कोविड गाइडलाइन का पालन करते हए खुल सकती हैं। उन्होंने सबका लाइसेंस चेक किया है। कोई मॉल नही है।

इसपर उनसे पूर्व के समय मे मॉल बंद रखे जाने की जानकारी देते हुए पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पूर्व के अधिकारी यदि गलती किये तो वे भी उस गलती को दुहराए, ऐसा नही हो सकता।

वर्तमान एसडीओ की प्रतिक्रिया ने तत्कालीन एसडीओ राकेश गुप्ता के साथ साथ कहीं न कहीं चैंपियन डीएम का खिताब लेकर दरभंगा से विदा हुए तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन एसएम के

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व्यवहारिक ज्ञान पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। पूरे कोरोना काल मे तत्कालीन डीएम डॉ त्यागराज एसएम स्वयं सक्रिय थे।

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या तत्कालीन जिलाधिकारी एवं एसडीओ को मॉल एवं दुकानों का फर्क नहीं पता था, या वर्तमान एसडीओ द्वारा नयी परिभाषा गढ़ते हुए मॉलों के खुलने की तरकीब निकाली गयी है। पर दोनों ही परिस्थितियों में किसी न किसी एक समय में जिला प्रशासन गलत रहा है। या तो पूर्व में गलती हुई या वर्तमान में हो रहा है। ऐसे में या तो तत्कालीन अथवा वर्तमान, किसी एक पर कारवाई होनी ही चाहिए।

इसके अतिरिक्त मॉल के नाम पर जनता को गुमराह करने वाले इन दुकान संचालकों पर भी कारवाई का आधार बनता है। पर सवाल यह उठता है कि किसी अधिकारी पर कारवाई होगी, अथवा मामले की लीपापोती होकर मॉल दुकान बनकर चलते रहेंगे!

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