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June 11, 2022

मूलतः विपक्ष के कवि लोक शक्ति के उपासक बाबा नागार्जुन: मंत्री।

दरभंगा: लोक शक्ति के उपासक बाबा नागार्जुन मूलतः विपक्ष के कवि थे। समाज सुधार की दिशा में उनकी भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण रही है। वे अपनी दमदार लेखनी से जीवन पर्यन्त वर्चस्ववादी सत्ता के विरुद्ध प्रतिरोध की संस्कृति को समृद्ध करते रहे। उनकी खासियत रही कि जनहित के विरुद्ध काम करने वालों को उन्होंने कभी नहीं बख्सा। उनकी सोच और विचार को दृढ़ संकल्प के साथ साकार किया जाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

उक्त बातें बिहार सरकार के श्रम संसाधन एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री जिवेश कुमार ने शनिवार को जनकवि बाबा नागार्जुन की 111वीं जयंती पर विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में अपना विचार रखते कही। अपने संबोधन में उन्होंने यात्री-नागार्जुन को समतामूलक समाज निर्माण का प्रबल समर्थक बताते हुए इस बात पर निराशा जाहिर की कि उनके बाद कलम के किसी सिपाही ने इस दिशा में आवाज बुलंद करने की जहमत नहीं उठाई।

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इससे पहले विद्यापति संस्थान के महासचिव डाॅ बैद्यनाथ चौधरी बैजू के साथ कुलानुशासक प्रो अजय नाथ झा, समाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रो जितेन्द्र नारायण, विज्ञान संकाय के डीन डा केके झा, डीआर-वन डाॅ कामेश्वर पासवान, केन्द्रीय पुस्तकालय के निदेशक डॉ दमन कुमार झा, दूरस्थ शिक्षा के निदेशक प्रो अशोक कुमार मेहता, अवनी रंजन सिंह,डा जिया हैदर, डा मुनेश्वर यादव, प्रो चन्द्र शेखर झा बूढ़ाभाई, प्रवीण कुमार झा आदि ने लनामिवि के केंद्रीय पुस्तकालय परिसर में स्थापित बाबा यात्री-नागार्जुन की प्रतिमा पर फूल-माला अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

मौके पर विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने नागार्जुन जयंती के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय स्तर पर की गई अभूतपूर्व तैयारी के लिए कुलपति प्रो सुरेन्द्र प्रताप सिंह के प्रति आभार जताते कहा कि यात्री-नागार्जुन ने आमजन के मुक्ति संघर्षों में न सिर्फ रचनात्मक हिस्सेदारी दी, बल्कि स्वयं भी जन संघर्षों में आजीवन सक्रिय रहते हुए प्रगतिशील धारा के कवि एवं कथाकार के रूप में ख्यात हुए। उन्होंने जन कवि के रूप में विश्व विख्यात बाबा नागार्जुन को पद्म पुरस्कारों से अद्यतन वंचित रखे जाने पर निराशा जताते हुए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का डिमांड रखा।

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संस्थान के मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि बाबा नागार्जुन न सिर्फ कबीर की तरह अक्खड़, फक्कड़ व बेबाक थे, बल्कि वे जीवन के अंतिम पड़ाव तक व्यवस्था के विरुद्ध लड़ते रहे।

मौके पर शंकर कुमार सिंह, हरिकिशोर चौधरी, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, आशीष चौधरी, रामाशीष पासवान, पुरूषोत्तम वत्स आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

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