एंडोस्कोपी द्वारा बिना ऑपरेशन पेट से कील निकाल डॉक्टर ने बचायी बच्चे की जान।
देखिये वीडियो भी👆
दरभंगा: टीवी देखते-देखते एक दस साल का बच्चा डेढ़ इंच का कील निगल गया। यह कील मुंह के रास्ते पेट तक पहुंच गया। परेशान परिजन सोमवार को शहर के बेंता स्थित डॉ जीएन दुबे के क्लीनिक पहुंचे। वहां डॉक्टर द्वारा एंडोस्कॉपी की मदद से बिना ऑपरेशन बच्चे के पेट से कील निकालने में सफलता मिली। बच्चा अब सुरक्षित है।
इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार सुपौल जिले का रहने वाला 10 वर्षीय अंकुश कुमार झा रविवार को टीवी देख रहा था। उसने अपने मुंह में लोहे की कील डाल रखी थी। अचानक अंकुश कील को निगल गया। कील छोटी आंत के द्वार तक पहुंच गई और बच्चे केलिए मुसीबत बढ़ गई। घबराए मां-बाप बच्चे को लेकर सोमवार को डॉक्टर जीएन दुबे के पास पहुंचे। बच्चे का एक्स-रे किया गया तो कील साफ दिखाई दे रही थी। दूरबीन से देखा गया तो कील ड्यूडनम के तीसरे हिस्से तक पहुंचने वाली थी। मतलब छोटी आंत के अंदर पहुंच सकती थी। इसके बाद एंडोस्कोपी की मदद से कील को बाहर निकाला गया।
करीब आधे घंटे चले इस प्रोसीजर की सफलता के बाद डॉ दुबे एवं उनकी टीम ने राहत की सांस ली। उन्होंने इतने गम्भीर मामले में पहलीबार एंडोस्कोपी की थी।
दरअसल, बच्चे के माँ बाप के विश्वास और जिद पर उन्होंने पूरी प्रक्रिया शुरू की। उन्होंने बच्चे के परिजनों से कहा कि यदि एंडोस्कोपी वाले पाइप की पहुंच में कील होगा तो उसे निकालने का प्रयास करेंगे, अन्यथा बच्चे को दिल्ली ले जाना होगा। मा बाप ने डॉ दुबे पर पूर्ण विश्वास जताते हुए प्रोसीजर शुरू करने का आग्रह किया। इसके बाद प्रोसीजर शुरू हुआ और कामयाबी मिली।
इस सफलता के बाद डाॅ दुबे ने बताया कि यदि एंडोस्कोपी से कील को नहीं निकल पाते है तो सीधे बड़े सर्जरी (आपरेशन) करने की जरूरत पड़ती है।
उन्होंने बताया कि एंडोस्कोपी एक गैर-शल्य प्रक्रिया है। इसमें डाॅक्टर द्वारा शरीर के अंदरूनी अंगों को देखकर उनका इलाज किया जाता है। इसमें कैमरा लगा होता है, जिसके द्वारा डाॅक्टर मरीज के अंदरूनी अंगों को देखकर इलाज शुरू करते हैं। आमतौर पर इसकी नली मुंह से शरीर के अंदर तक पहुंचाई जाती है।
रंजीत यादव बने किरतपुर के नये प्रखंड प्रमुख।
दरभंगा: जिले के किरतपुर प्रखण्ड में वर्तमान प्रमुख रेखा देवी को हराकर रंजीत यादव नय…