Home Featured ओआरएस और जिंक की जोड़ी शिशु के लिए जीवनदायनी : डॉ० अशोक।
July 25, 2022

ओआरएस और जिंक की जोड़ी शिशु के लिए जीवनदायनी : डॉ० अशोक।

दरभंगा: स्वास्थ विभाग की ओर से शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए संचालित सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के तहत

इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स के द्वारा सोमवार को डीएमसीएच के शिशु विभाग में मरीजों के बीच ओआरएस के पैकेट बांटकर ओआरएस सप्ताह का आगाज किया गया।

आईएपी के अध्यक्ष डॉ० अशोक कुमार, सचिव डॉ० सलीम अहमद, डीएमसी के प्राचार्य सह शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ० एके मिश्रा एवं सामुदायिक कार्यक्रम के प्रभारी डॉ० कामोद झा के नेतृत्व में आईएपी के सदस्यों ने परिजनों से मिलकर माताओं व परिजनों को ओआरएस का महत्व और बनाने के तरीकों को समझाया।

इस विषय पर जानकारी देते हुए डॉ० केएन मिश्रा ने कहा कि दस्त से होने वाले मृत्यु को शून्य तक ले जाना है और इसमें ओआरएस का महत्वपूर्ण योगदान है।

कार्यक्रम के संयोजक डॉ० कामोद झा ने बताया कि पूरे ओआरएस सप्ताह में आईएपी के सदस्य अपने क्लीनिक में ओआरएस की महत्ता मरीज व परिजनों को बताएंगे। साथ ही जरूरतमंद मरीजों को ओआरएस का पैकेट और जिंक दिया जायेगा।

सचिव डॉ० सलीम अहमद ने बताया अगला कार्यक्रम गुरुवार को डीएमसीएच के आउटडोर में किया जाएगा।

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वहीं ओआरएस के बनाने कि विधि को समझाते हुए डॉ० एनपी गुप्ता ने कहा कि ओआरएस का घोल सही ढंग से बनाना जरूरी है। तभी वह उपयोगी होगा। सब से पहले एक साफ बर्तन में एक बड़े पैकेट को एक लीटर या एक छोटे पैकेट को 200 एमएल पीने योग्य शुद्ध पानी में एक ही बार में घोलना है। इसे ढककर 24 घंटा रख सकते हैं। दस्त शुरू होते ही लगातार बच्चे को पिलाते रहना है।

वहीं डॉ० अशोक कुमार ने ओआरएस और जिंक की जोड़ी को बलवान बताते हुए कहा कि ओआरएस के साथ जिंक देने से दस्त ठीक होने का समय कम जाता और मरीज की जान बच जाती है।

आगे डॉ० रिजवान हैदर ने कहा कि ओआरएस की महत्ता भारतवर्ष में 1971 के बांग्लादेश के युद्ध के समय चिह्नित हुई और उस दिन से दस्त उपचार में इसकी उपयोगिता हम सब महसूस कर रहे हैं।

डॉ० मणि शंकर ने कहा कि सिर्फ आईएपी के सदस्य ही नहीं यह सभी डॉक्टरों का कर्तव्य बनता है कि निर्जलीकरण के लक्षणों को पहचानें और दस्त शुरू होते ही ओआरएस और जिंक शुरू करें, ऐसा करने से एक प्रीवेंटेबल मृत्यु को रोक सकते हैं।

शिशु विभाग के सीनियर रेजिडेंट और पीजी छात्रों ने माताओं को दिखाया कि ओआरएस का घोल कैसे बनाया जाता है। उन्होंने दस्त वाले बच्चों को चिह्नित कर उनकी माताओं को दो- दो पैकेट ओआरएस और जिंक दवा दी।

वहीं कार्यक्रम के समाप्ति डॉक्टर ओम प्रकाश के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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