Home Featured मछली पालन के लिए बनाए जा रहे पानी से युक्त गड्ढे और सांस्कृतिक तालाब में अंतर को समझना ज़रूरी: नारायण जी चौधरी 
August 10, 2022

मछली पालन के लिए बनाए जा रहे पानी से युक्त गड्ढे और सांस्कृतिक तालाब में अंतर को समझना ज़रूरी: नारायण जी चौधरी 

दरभंगा: तिरहुत तालाब बचाओ अभियान के संयोजक नारायण जी चौधरी ने आज अमृत सरोवर के निर्माण में लगे अभियंताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि हर पानी से युक्त गड्ढे को हम तालाब नहीं कहते, तालाब सिर्फ़ जल से युक्त उस संरचना का नाम है जिसकी अपनी भींड हो, जिसमें बरसात के पानी के आने के लिए आगम या आहार क्षेत्र हो और पानी के निकालने के लिए निगम क्षेत्र भी हो और जो मनुष्य, पशु और दूसरे अनेकोनेक जल-जंतुओं के जीवन को सुख पहुँचाने वाला हो और उसके चारों ओर बगीचा हो।  

नारायण जी चौधरी ने यह बात बुधवार को ज़िला ग्रामीण विकास एजेन्सी और तिरहुत तालाब बचाओ अभियान के संयुक्त तत्तावधान में अमृत सरोवर के निर्माण में लगे अभियंताओं के लिए आयोजित एक कार्यशाला में कही।

कार्यशाला के आयोजन का उद्देश्य ज़िला के अभियंताओं को तालाब निर्माण में मिथिला के पारम्परिक ज्ञान से परिचित करवाना था ताकि प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना अमृत सरोवर के निर्माण में कम से कम सीमेंट पत्थर, और ईंट का इस्तेमाल हो।

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ज़िला में बन रहे प्रथम चरण के अमृत सरोवर में यह देखा गया है कि उन्हें एक काँक्रीट के ढाँचे में ढाला जा रहा है, जो हर दृष्टिकोण से पृथ्वी के पर्यावरण के लिए एक भार साबित होगा।

नारायण जी चौधरी ने संस्कृत के प्राचीन ग्रंथों जैसे वराह मिहिर के बृहत् संहिता का उद्धरण देते हुए यह बताया कि तिरहुत में प्राचीन और मध्य काल में बने सांस्कृतिक तालाब पर्यावरण के दृष्टिकोण से तालाब के उत्कृष्ट नमूने हैं, जिनमें मनुष्यों सो लेकर पशुओं, जंगली जानवरों व अन्य जलचरों के जीवन का ख़याल रखा गया है।

कार्यशाला में भाग लेने आए अभियंता सुरेश प्रसाद सिंह ने कहा कि इस कार्यशाला से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला है और वे आगे से इस बात का ख़याल रखेंगे कि नए तालाब के निर्माण में काँक्रीट का इस्तेमाल कम से कम हो और उसे पारंपरिक रूप से मिथिला में बने तालाबों की तरह ही बनाया जाय।

कार्यशाला में अभियंताओं और नारायण जी चौधरी का धन्यवाद करते हुए अनिल कुमार झा ने कहा कि तिरहुत तालाब बचाओ अभियान इस तरह के अनेक कार्यशालाओं का आयोजन अभी आने वाले दिनों में करेगा ताकि तालाब निर्माण को लेकर हम पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बने रहें।

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