Home Featured कृषि मंत्री ने किया किसान मेला एवं किसान पाठशाला का उद्घाटन।
September 15, 2022

कृषि मंत्री ने किया किसान मेला एवं किसान पाठशाला का उद्घाटन।

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दरभंगा:  बिहार सरकार के कृषि मंत्री  सुधाकर सिंह के द्वारा  संयुक्त कृषि भवन,बहादुरपुर  के परिसर में आयोजित किसान मेला का फीता काटकर उद्घाटन किया गया, तदोपरांत किसान संगोष्ठी एवं किसान पाठशाला का भी क्रमशः फीता काटकर उद्घाटन किया गया।

इस अवसर पर जिलाधिकारी  राजीव रौशन, जिला परिषद के अध्यक्ष  रेणु देवी, उप विकास आयुक्त अमृषा बैंस,सहायक समाहर्ता सूर्य प्रताप सिंह, बामेती के निदेशक डॉ अभाशुं कुमार जैन, संयुक्त कृषि निदेशक, उप निदेशक जन सम्पर्क नागेन्द्र कुमार गुप्ता जिला कृषि पदाधिकारी संजय सिंह एवं कृषि वैज्ञानिक  उपस्थित थे।

इन अवसरों पर किसानों को संबोधित करते हुए मंत्री  ने कहा कि कृषि विभाग,बिहार सरकार लगातार अपने नए अनुसंधान एवं नए प्रयोग कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से सूबे के कृषि में प्रयोग कर रही है, लेकिन किसान इसके वास्तविक योद्धा हैं। जिनके बलबूते पर देश की खाद्य सुरक्षा आधारित है, किसनों के मेहनत से उत्पादित गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न देश के लोगों को खाद्य सुरक्षा की गारंटी देती है।

उन्होंने किसानों को कहा कि आप ऐसे योद्धा है कि बिना अवकाश के लगातार सभी मौसमों में कृषि कार्य में लगे रहते हैं। अन्य कार्य से जुड़े लोगों के लिए कई तरह की छुट्टियां व अवकाश होते हैं, लेकिन किसान के लिए कोई छुट्टी नहीं होती। आप कृषि व्यवस्था तथा कृषि चक्र में सालों भर लगे रहते हैं।

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उन्होंने कहा कि आपके इस परिश्रम को किसी पुरस्कार से नहीं आंका जा सकता है, हम आपके जज्बे को सलाम करते हैं।

कृषि विभाग किसानों के सलाह से ही अपना कार्य करती है, इसलिए किसान संगोष्ठी, किसान पाठशाला में भले ही वैज्ञानिक आपको कृषि की नई तकनीक से अवगत कराते हैं, लेकिन अंतिम निदान आपके सुझाव से ही प्राप्त होते हैं।

उन्होंने कहा कि कृषि नीति बनाने के पहले आपके सुझाव एवं आपकी समस्या से अवगत होना अपेक्षित हैं, क्योंकि आपके सुझाव के बिना कृषि नीति सफल नहीं हो सकेगी।

उन्होंने किसान पाठशाला में उपस्थित किसानों को कहा कि इस पाठशाला में कृषि विज्ञान के वैज्ञानिक व पदाधिकारी आपसे सीखते भी हैं।

किसान मेला में किसानों को संबोधित करते हुए उक्त बातों को दोहराया तथा आगे कहा कि वर्तमान में हो रहे जलवायु परिवर्तन से कृषि में समस्या उत्पन्न हो रही है। इसका नतीजा है कि विगत वर्ष देश में गेहूं के उत्पादन में कमी रही। जिसका असर जन वितरण प्रणाली पर भी दिख रहा है जहां गेहूं कम व चावल की अधिक मात्रा दी जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि जलवायु परिवर्तन का असर धान की खेती पर भी पड़ा तो जरा सोचिए क्या होगा।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1966 में देश में भीषण अकाल पड़ा था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा दिया था, क्योंकि देश की सुरक्षा के लिए जितना महत्व जवानों का है उतना ही महत्व खाद्य सुरक्षा के लिए किसानों का है।

किसान दिन रात मेहनत कर पूरे देश को अन्न उपलब्ध कराता है, इसलिए कृषि के क्षेत्र में नई तकनीकी, नए अनुसंधान का प्रयोग करना आवश्यक है।

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उन्होंने कहा कि 1967 में देश में हरित क्रांति लाई गई जिसमें कृषि के क्षेत्र में नए-नए कृषि उपकरणों, उर्वरकों, कीटनाशकों का प्रयोग किया गया, जिसके अच्छे परिणाम हुए हैं और खाद्यान्न की समस्या लगभग समाप्त हो गई।लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आज ड्रोन स्प्रे मशीन के द्वारा 10 मिनट में 1 एकड़ जमीन पर कीटनाशक का स्प्रे किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि ड्रोन स्प्रे के प्रयोग से किसानों को पीठ पर उपकरण लादकर स्प्रे करने से जो स्वास्थ्य हानि होती थी, उससे बचाव होगा।

बुआई एवं रोपनी के लिए नए कृषि यंत्र का प्रयोग किया जा सकता है, हमें जलवायु अनुकूल कृषि की व्यवस्था करनी होगी। कृषि विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों को इस में पहल करनी होगी ।

उन्होंने कहा कि चौथा कृषि रोडमैप बनाने के पहले हम किसानों के सुझाव एवं उनकी समस्या से पूर्णतः अवगत होना चाहते हैं। इसी कड़ी में दरभंगा में यह दो दिवसीय कार्यक्रम रखा गया है। वे ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण कर कृषि की स्थिति एवं किसानों की समस्या से अवगत होना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि अवश्यकता पड़ने पर इसके लिए पटना में कार्यक्रम आयोजन कर राज्य भर के किसानों को आमंत्रित कर उनके सुझाव प्राप्त करेंगे।

उन्होंने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खाद्य सुरक्षा आवश्यक है, बिना खाद्य सुरक्षा के राष्ट्र सुरक्षा का उद्देश्य सफल नहीं हो सकता है।

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण बिहार जैसे राज्य जहां पर्याप्त वर्षा होती है, सूखा का असर महसूस कर रही है।

ऐसी परिस्थिति में कृषि विशेषज्ञों की चिंताएं बढ़ती जाती है कि कौन सा प्रयोग किया जाए, ताकि किसानों की समस्या को कम से कम किया जाए इसके लिए सरकार लगातार प्रयासरत है।

उन्होंने कहा कि किसानों की अनेक समस्याएं हैं जिसे पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता परंतु सरकार किसानों को मदद कर उनकी समस्याओं को कम करने का प्रयास करती है, ताकि कृषि उत्पादकता में वृद्धि की जा सके। देश की बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में खाद्यान्न उत्पादन में भी वृद्धि अपेक्षित है।

उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी कृषि से इसलिए विमुख हो रही है कि वे देख रहे हैं कि वर्षों से हमारे पूर्वज किसानी से अपनी माली हालत सुधार नहीं पाए तो हम क्या कर सकेंगे। इस विचार को कृषि क्षेत्र में नूतन प्रयोग से बदलने की आवश्यकता है।

इसके पूर्व मंत्री ने किसान मेला में लगे विभिन्न स्टॉलों का भ्रमण कर वहां प्रदर्शित कृषि यंत्रों, जलवायु अनुकूल बीजों, मखाना प्रसंस्करण सहित सभी स्टॉलों का निरीक्षण कर गहन जानकारी प्राप्त की।

किसान मेला में किसान रामदयाल राय को एक हेक्टेयर में सर्वाधिक गेहूं उत्पादन के लिए किसान गौरव पुरस्कार एवं अलीनगर के निर्भय यादव को किसान श्री पुरस्कार मंत्री द्वारा प्रदान किया गया।

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