Home Featured शिक्षा में निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार रच रही हैं साजिश : विधायक।
September 23, 2022

शिक्षा में निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार रच रही हैं साजिश : विधायक।

दरभंगा: केन्द्र सरकार शिक्षा में निजीकरण को बढ़ावा देने की साजिश रच रही है। केंद्र सरकार की गलत नीति की वजह से दूरस्थ माध्यम से शिक्षा वेंटीलेटर पर है। इसमें परिवर्तन किए बगैर बिहार जैसे राज्यों में सुदूर देहाती क्षेत्रों तक के कामकाजी महिला पुरूषों का उच्च शिक्षा प्राप्त होने का सपना पूरा नहीं हो सकता। ये बातें जिला जदयू के अध्यक्ष सह बेनीपुर विधायक प्रो. विनय कुमार चौधरी ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भेजे अपने पत्र में इस आशय पर विचार व्यक्त किया। केन्द्रीय शिक्षा नीति में व्याप्त खामियों पर केन्द्रीय मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुए विधायक प्रो. चौधरी ने लिखा है कि इसी नीति के कारण बिहार के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों में दूरस्थ शिक्षा बंद हो गया है, क्योंकि यूजीसी रेगुलेशन 2020 की वजह से जिस विश्वविद्यालय का नैक स्कोर 4 अंक में कम से कम 301 नहीं है। वैसे विश्वविद्यालय में दूरस्थ माध्यम में ना तो नामांकन ली जा सकती है और ना ही डिग्री दी जा सकती है।

ऐसी परिस्थिति में इसे सुधार किए बिना लाखों छात्र-छात्राएं शिक्षा से वंचित हो जाएंगे, जो न्याय संगत नहीं है। विधायक प्रो. चौधरी ने केन्द्रीय मंत्री को अपने सुझाव में लिखा है कि एक तरफ नई केंद्रीय शिक्षा नीति 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात के लक्ष्य को 2035 तक पूरा करने का समय दे रखा है। दूसरी ओर देश के किसी भी सरकारी विश्वविद्यालय को नैक का समुचित अंक नहीं मिला है। जिससे दूरस्थ माध्यम शिक्षा वेंटिलेटर पर आ गया है।

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बगैर दूरस्थ शिक्षा को चालू किये इस लक्ष्य को पाना संभव नहीं है। विधायक प्रो. चौधरी ने केन्द्रीय मंत्री को स्पष्ट तौर पर सुझाव देते हुए कहा कि नैक से सी ग्रेड प्राप्त विश्वविद्यालय नियमित माध्यम से अध्ययन अध्यापन कर सकती है, लेकिन दूरस्थ माध्यम के लिए 4 में 3.1 अंक की अनिवार्यता कहां तक न्यायोचित है। देश स्तर पर शिक्षा में नामांकन अनुपात को बढ़ावा देने के लिए बिहार जैसे राज्यों जहां सकल नामांकन अनुपात 15 प्रतिशत से भी कम है वहां इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त करेगी। ऐसी स्थिति में बिना दूरस्थ माध्यम की मान्यता देने के नियम में परिवर्तन किए बिना बिहार जैसे राज्य उस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकती। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में काम काजी महिला पुरूषों का प्रतिनिधित्व बढ़ सके जो बिना दूरस्थ माध्यम से संभव नहीं है।

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