मांगों को लेकर खेग्रामस ने प्रखंड मुख्यालय पर किया प्रदर्शन।
दरभंगा: गुरुवार को खेग्रामस द्वारा देशव्यापी प्रदर्शन के तहत बहादुरपुर प्रखंड मुख्यालय पर भी मांगों को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया।
प्रदर्शन में अनधिकृत बस्तियों और भूमिहीनों का मुकम्मल सर्वे के आधार पर नया वास आवास ,मनरेगा की मजदूरी 600 रुपए करने, मांग के अनुसार काम और समय पर भुगतान की गारंटी। एवं दलित-गरीबों का बकाया बिजली बिल माफ हो और 200 यूनिट फ्री बिजली सहित कई मांगों को लेकर प्रदर्शन किया।
इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए माले नेता सह जिला परिषद् प्रतिनिधि हरी पासवान ने कहा कि देश के गरीबों की आमदनी पिछले 5 वर्षों में 40 फीसदी कम हुई है। कमरतोड़ मंहगाई खासकर खाद्य पदार्थों की कीमतों में उछाल ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। रसोई गैस की बढ़ती कीमतों ने गरीबों को एकबार फिर से गोइठा और लकड़ी के युग में लौटा दिया है। इस सबके बीच मोदी सरकार ने ग्रामीण विकास योजनाओं और कल्याणकारी योजनाओं में भारी कटौती कर दी है। मनरेगा को मारने की कोशिश चल रही है।
उन्होंने कहा कि मनरेगा मजदूरों को मोदी सरकार भारत सरकार की न्यूनतम मजदूरी 429 रुपए भी देने से मना कर दी है और मिट्टी काटने और ढोने जैसे कठिन काम की मजदूरी बिहार के लिए 228 रुपए तय कर दी है। प्रवासी मजदूरों और ग्रामीण कृषि मजदूरों के लिए कोई समग्र कानून बनाने से केंद्र सरकार भाग खड़ी हुई है।
श्री पासवान ने कहा कि यह सरकार फूट डालो और राज करो की नीति के तहत नफरत और विभाजन की राजनीति कर रही है। मजदूरों की मजदूरी को लूटकर अडानी -अंबानी के लूट का साम्राज्य खड़ी करने में मोदी सरकार लगी है।
उन्होंने कहा कि समस्त दलित-गरीबों और मजदूरों को मिलकर मोदी सरकार की अडानी – अंबानी परस्ती का विरोध करना वक्त का तकाजा है क्योंकि यह सरकार संविधान लोकतंत्र के खात्मे पर तुली है।
श्री पसवान ने कहा कि बिहार की महागठबंधन सरकार दलित-गरीबों के सवालों पर उदासीन है। बिहार में सबसे कम मनरेगा मजदूरी है, और वृद्धों विकलांगों महिलाओं का पेंशन भी। – दलित-गरीबों के लिए वास आवास की गारंटी के बदले सरकार भाजपा बुलडोजर – चला रही है। बिजली बिल के बकाया को माफ करने और उन्हें 200 यूनिट फ्री बिजली देने के बदले सरकार दलित-गरीब बस्तियों का बिजली कनेक्शन काट रही है। दलित- गरीबों, महिलाओं और बच्चियों पर बढ़ते हमले के प्रति सरकार असंवेदनशील है। भूख, गरीबी और कर्ज के दुष्चक्र में फंसकर आत्महत्याओं का दौर शुरू हो गया है लेकिन ये सवाल सरकार की चिंता में शामिल नहीं है। इसलिए जरूरी है कि गांव-गरीबों का आंदोलन तेज हो और सरकार पर चौतरफा दबाव बनाया जाए। हमारा आंदोलन जन दबाव और जन दावेदारी को आगे बढ़ाएगा।
इस दौरान माले नेता विनोद सिंह, देवेंद्र कुमार, प्रवीण यादव, विजय यादव आदि उपस्थित थे।
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