Home Featured धरोहर संरक्षण को लेकर विरासत यात्रा का हुआ आयोजन।
4 weeks ago

धरोहर संरक्षण को लेकर विरासत यात्रा का हुआ आयोजन।

दरभंगा: शुक्रवार को कला संस्कृति एवं युवा विभाग, पुरातत्त्व निदेशालय, बिहार के द्वारा डॉ शंकर सुमन, संग्रहालयाध्यक्ष, चन्द्रधारी संग्रहालय, दरभंगा के निर्देशन में धरोहर संरक्षण जागरूकता के उद्देश्य से राज्यकीय स्मारक अहिल्या स्थान, दरभंगा के प्रांगण में विरासत यात्रा का आयोजन किया गया।

Advertisement

इस अवसर पर डॉ अयोध्या नाथ झा, पूर्व विभागाध्यक्ष, प्राचीन भारतीय इतिहास पुरातत्त्व एवं संस्कृति विभाग, ल. ना. मि. विश्वविद्यालय, दरभंगा एवं  मुरारी कुमार झा, पुरातत्त्व विषयक शोधार्थी, ललित नारायण मिथिला, विश्वविद्यालय, दरभंगा ने बच्चों को धरोहर के विविध आयाम एवं महत्वों के बारे में विस्तार पूर्वक संबोधित किया।

Advertisement

बच्चों को संबोधित करते हुए  मुरारी कुमार झा ने कहा कि- “वर्तमान समय में हमलोग अपनी परंपराओं से कटने लगे हैं, जिसका दुष्परिणाम साक्षात सामने है। इसका ही परिणाम है, कि जहां वरदान स्वरूप प्राप्त हुआ प्राकृतिक धरोहर जल, हवा, खाद्य संसाधन आदि हमारे लिए वरदान था; वही आज दूषित हो अभिशप्त होता जा रहा है। विरासत हमारी सांस्कृतिक पहचान है, इसका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है। हम अपनी सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहरों को संरक्षित करके ही, आने वाली पीढ़ियों को अपनी मूल तत्त्व और इतिहास से जोड़ सकते हैं। धरोहर संरक्षण जागरूकता के उद्देश्य से पुरातत्व निदेशालय के द्वारा किया गया यह आयोजन नियमित रूप से किए जाने की आवश्यकता है।”

Advertisement

धरोहर के विविध आयामों को विस्तार पूर्वक बताते हुए डॉ अयोध्या नाथ झा ने कहा कि-“आम जनों को अपनी सांस्कृतिक विरासतों को संभाल कर रखनी होगी, इसके लिए धरोहर के महत्ता को समझना सबसे आवश्यक है। यही वह स्थान है, जहां भगवान श्री राम के द्वारा पत्थर रूपी अहिल्या का उद्धार हुआ था। यहां बनी यह मंदिर हमारे बीच अपनी समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर के रूप में मौजूद है। सांस्कृतिक के साथ प्राकृतिक धरोहर भी हमारे लिए अमूल्य हैं, मृदा, नदी, नहर, तालाब, झील, जंगल, पर्वत सहित संपूर्ण जीव जगत जैव विविधताओं के साथ एक दूसरे से अन्योन्याश्रित हैं। पेड़ काटे जा रहे हैं, विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर कचरों के ढेर जमा कर दिए गए, नदी-तालाब भरे जा रहे हैं, प्रकृति चिकित्सा से हम दूर होते जा रहे हैं। वर्तमान समय के लोग ही आने वाली पीढ़ियों के लिए अपनी पुरखों के द्वारा प्रदान की गई इन धरोहरों को संरक्षित रख सकते हैं।”

Advertisement

संग्रहालयाध्यक्ष डॉ शंकर सुमन ने धरोहर के प्रकारों को रेखांकित करते हुए कहा कि-“धरोहर दो प्रकार के होते हैं, मूर्त एवं अमूर्त। जो भौतिक रूप में हमारे बीच मौजूद हैं, वे मूर्त एवं जिन्हें हम साक्षात देख नहीं सकते; वे अमूर्त धरोहर हैं। कला संस्कृति एवं युवा विभाग, पुरातत्त्व निदेशालय द्वारा इस प्रकार का कार्यक्रम बच्चों के साथ आम लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से आयोजित की जाती है। निदेशालय धरोहर संरक्षण के प्रति सजग है।
इस विरासत यात्रा में सैनिक स्कूल, कमतौल के विद्यार्थियों एवं शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ शोधार्थी पुष्पांजली कुमारी, नीरज कुमार, राहुल कुमार, साहब मंजर सहित सैकड़ों बच्चे एवं स्थानीय लोग शामिल हुए।

Share

Check Also

दुष्कर्म पीड़िता बच्चियों को न्याय दिलाने के लिए निकाला गया कैंडल मार्च।

दरभंगा: कुशेश्वरस्थान में छह वर्ष की बच्ची के साथ हुई दुष्कर्म की घटना और केवटी में तीन सा…