Home Featured जिंदा युवक के मौत की अफवाह पर हुआ बवाल, डीएसपी ने भी बयान में बता दिया मृतक!
June 19, 2019

जिंदा युवक के मौत की अफवाह पर हुआ बवाल, डीएसपी ने भी बयान में बता दिया मृतक!

देखिये बवाल के दृश्य के साथ स्थानीय लोगों एवं डीएसपी के बयान का वीडियो भी

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दरभंगा: कभी कभी अपुष्ट जानकारी से अफवाह फैलती है और लोग बिना पुष्टि के प्रतिक्रिया में आ जाते हैं। आमलोगों के प्रतिक्रिया में आ जाना तो समझ मे आता भी है। पर पुलिस के जिम्मेवार पदाधिकारी भी परिस्थिति को देख कर दवाब में या हड़बड़ी में अफवाह की पुष्टि अपने बयान से कर जाएं तो व्यवस्था का भगवान ही मालिक हो सकता है।
कुछ ऐसा ही वाकया नजर आया बुधवार को नगर थानाक्षेत्र के सेनापथ मुहल्ले में जहाँ आमलोगों के गुस्से का शिकार आरोपी परिवार तो बना ही, इस झड़प और गर्मी में कई लोग घायल भी हुए। प्राप्त जानकारी के अनुसार सेनापत मुहल्ले के नसीम अंसारी का पुत्र तनवीर अंसारी पांच साल पर दुबई से ईद में घर आया था। मंगलवार देर शाम उसकी झड़प पूर्व वार्ड पार्षद मुहल्ले के ही मो0 जुबैर उर्फ भोला एवं उनके पुत्रो से हो गयी। तनवीर को मारपीट कर बुरी तरह घायल कर दिया गया जिसके बाद रात के करीब एक बजे उसे डीएमसीएच में भर्ती करवाया गया। गंभीर हालत को देखते हुए तनवीर को पीएमसीएच रेफर किया गया। इस दौरान बुधवार को पीएमसीएच में तनवीर के हालत बिगड़ने की खबर मुहल्ले के लोगों को मिली जिसके बाद लोग आक्रोशित होकर सड़क जाम एवं हंगामा शुरू कर दिया। इस बीच पटना गए तनवीर के माता पिता का मोबाइल बन्द हो गया और करीब दिन के एक बजे किसी ने तनवीर के मौत की बात फैला दी। इस पर आक्रोशित भीड़ बेकाबू हो गयी और आरोपी जुबैर को अपने हवाले करने की बात करने लगी। कई थानों की पुलिस के साथ सदर एसडीओ राकेश कुमार एवं सदर डीएसपी अनोज कुमार भी मौके पर हालत को संभालने पहुँच गए। आरोपी भोला के दो पुत्रों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। भोला को लोग खुद सजा देने पर आमादा थे। मौका देख भोला घर के पिछले दरवाजे से निकलने का प्रयास किया जिस दौरान वह भीड़ के हत्थे चढ़ गया। भीड़ ने उसकी जमकर धुलाई की। किसी तरह पुलिस ने उसे बचाकर गिरफ्तार कर नगर थाने पर ले आयी। आक्रोशित लोगों ने कई बार थाने पर हमले का भी प्रयास किया। अंत मे भीड़ को खदेड़ने केलिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।
इस दौरान नगर थाना पर मीडिया को दिए अपने बयान में डीएसपी अनोज कुमार ने भी तनवीर को मृत बताते हुए उसके हत्या की बात कही और जुबैर उर्फ़ भोला सहित तीन आरोपियों के गिरफ्तार होने की बात कही।
इस दौरान तनवीर के शव के बारे में खोजबीन करने के दौरान राज खुला। कोई भी चश्मदीद ऐसा नही था जिसने तनवीर के शव को देखा हो। मौत की खबर लोगों को कैसे मिली, इसका भी कोई जवाब लोगो के पास नही था। सब एक दूसरे पर फेंकने लगे। अंततः पुलिस ने अपने श्रोत से पता किया कि तनवीर को पटना किस एम्बुलेंस से ले जाया गया और उसके माता-पिता का फोन क्यों ऑफ हो गया था।
इस प्रकार जिस शख्स की मौत हुई ही नही, उसके मौत की खबर पर हंगामा और आरोपी की पिटाई और गिरफ्तारी भी हो गयी। पर सबसे बड़ा सवाल पूरे घटनाक्रम में पुलिस के सूचनातंत्र और वरीय अधिकारी के गैर जिम्मेवार बयान पर जरूर उठ गया। अगर किसी बात की अफवाह पर स्थिति भड़की तो क्या वरीय अधिकारी भी दवाब में आकर कार्य करेंगे! क्या वरीय अधिकारी की जिम्मेवारी नही होती कि पूरी खबर की तह को पता करें। यदि पुलिस ने तनवीर के मौत की पुष्टि का प्रयास अपने सूचनातंत्र से करके सच को समय रहते लोगो तक रखा होता तो शायद ऐसी स्थिति उतपन्न नही होती। कहीं न कहीं यह सवाल भी उठ गया कि यदि आमलोगों की भावना भड़की तो पुलिस के वरीय अधिकारी बुद्धिमता से समाधान की जगह जनभावना के दवाब में ही कार्य करेंगे या आमलोगों की तरह दवाब न आकर विधि सम्मत विवेकपूर्ण कार्य करेंगे!

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