कोई भी सत्कार्य छोटा नहीं होता : निलेश शास्त्री
हनुमाननगर : कोई भी सत्कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता। कुरुक्षेत्र में युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ किया था जिसमें उसने अपने हाथों से साधू संतों के पांव पखारे थे। यह इस बात का प्रमाण है कि विनम्रता में सफलता का मर्म निहित है। स्वयं श्रीकृष्ण ने अपने मित्र विप्र सुदामा के पांव पखारकर मित्रता की महत्ता प्रतिपादित किया। उक्त बातें रुपौली गांव में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सातवें और अंतिम दिन मंगलवार को कथा व्यास नीलेश शास्त्री ने कही। कथाव्यास ने रुक्मिणी के विवाह का प्रसंग सुनाया। भगवन के 16108 विवाह का प्रसंग भी श्रोताओं को श्रवण कराया। कहा कि गरीब वही है जिसके पास राम नाम रूपी धन नहीं है। कथा के अंत में कलयुग में राम नाम की महिमा को सर्वोपरि बताया।
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