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September 27, 2020

दरभंगा: चुनाव की घोषणा होते ही दोनों गठबंधनों में सीटों एवं प्रत्याशियों को लेकर तेज हुआ कयासों का दौर।

दरभंगा। अभिषेक कुमार

जिले के 10 विधानसभा सीटों के लिए द्वितीय व तृतीय चरण में वोट डाले जाएंगे। आयोग की ओर से तिथि घोषित होने के साथ ही जिले में सियासी हलचल तेज हो गई है। करीब 27 लाख मतदाता इसबार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। प्रशासनिक स्तर पर विभिन्न स्थानों पर लगाए गए नेताओं के प्रचार संबंधित बैनर हटाए जाने लगे हैं। सबसे ज्यादा चिंता उनके लिये है जो चुनाव लडऩे के लिए लंबे समय से वार्मअप कर रहे हैं। दलों की ओर से टिकट बंटवारा नहीं होने से संशय की स्थिति बनी है। सीटों के गणित उलझे हुए हैं। टिकट के दावेदार शीर्ष नेतृत्व के आगे-पीछे करने लगे हैं। कुल मिलाकर आदर्श आचार संहिता का पालन करते हुए महज 36 दिनों में नेताओं को अपनी बात जनता के बीच रखनी है। हालांकि, अंदरखाने में चर्चा है कि दलों ने अपने प्रत्याशी तय कर लिये हैं। औपचारिक घोषणा शेष है।
दरभंगा जिले के वर्तमान हालात की बात करें तो गौड़ाबौराम सीट से जीतकर एकमात्र मंत्री पद प्राप्त विधायक खाद्य आपूर्ति सह उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बने मदन सहनी की प्रतिष्ठा दांव पर होगी। यदि इस बार भी वे इस सीट से चुनाव लड़ते हैं तो गौड़ाबौराम की जनता उन्हेंं अपनी कसौटी पर एक बार फिर कसेगी। वैसे अंदरखाने चर्चा है कि मदन सहनी इसबार अपने गृहक्षेत्र बहादुरपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने की इच्छा भी जता रहे हैं। परंतु सिटिंग सीट को बदलने में गठबन्धन की राजनीति में शायद ही आसान हो।
जदयू के चार सिटिंग एमएलए पहले से ही जिला में हैं। ऐसे में पार्टी में आये केवटी के निवर्तमान विधायक फराज फातमी को जगह देने का मतलब होगा कि जदयू को पांच सीट चाहिए होगा। ऐसे में भाजपा चार और लोजपा को एक सीट मिलने की संभावना है। सवाल यह भी उठता है कि ऐसे में लोजपा को कौन सी सीट दी जाएगी! क्योंकि लोजपा की तरफ से हायाघाट सीट पर आरके चौधरी प्रबल दावेदार बताये जाते हैं। ऐसे में समस्या यह आएगी कि जदयू के सिटिंग एमएलए अमरनाथ गामी को कहां शिफ्ट किया जाएगा! ऐसे में एक और विकल्प की चर्चा है कि यदि मदन सहनी जदयू से बहादुरपुर आते है तो गौराबौराम लोजपा के खाते में जा सकता है।
कुशेश्वस्थान आरक्षित सीट पर सिटिंग एमएलए जदयू के शशिभूषण हजारी हैं।

बेनीपुर विधानसभा से जदयू के सुनील चौधरी ने भाजपा के गोपालजी ठाकुर को हराकर जीत हासिल की थी। फिलहाल गोपालजी ठाकुर के सांसद बन जाने के बाद यह सीट भी जदयू कोटे में ही रहने की उम्मीद है।

जाले और दरभंगा शहर भाजपा के कब्जे में पहले से है। जिबेश कुमार जहां एकबार पार्टी के खिलाफ लड़कर दुबारा पार्टी का टिकट पाकर चुनाव जीते हैं, वहीं इसबार भी यह सीट एनडीए की तरफ से यह सीट भाजपा खाते में ही जाने की पूरी संभावना है।
दरभंगा शहर भाजपा का परंपरागत सीट है। साथ ही मिथिला का हृदय स्थली भी दरभंगा को कहा जाता है। ऐसे में यह सीट भाजपा केलिए अत्यधिक महत्व रखती है। लगातार चार बार संजय सरावगी विधायक रहे हैं। इनदिनों इनके कुछ जगहों पर लगातार क्षेत्र में विरोध का समाचार भी समाचारों में छाया रहा है। साथ ही पार्टी के कार्यकर्ताओं का एक बड़ा खेमा भी इनके विरोध में बताया जाता है। इसका प्रमाण इसबात से भी मिलता है कि इनके विरोध का जवाब भी सोशल मीडिया में इनके नजदीकी कुछ लोगों को ही देते देखा जाता है। परंतु चुनाव जैसे महत्वपूर्ण समय पर भी लगातार जन विरोध के प्रत्युत्तर में पार्टी स्तर पर कोई बयान तक जारी नही किया जाता है। ऐसे में चर्चा यह भी है कि यहाँ उम्मीदवार बदला भी जा सकता है। परंतु वहीं जानकारों की माने तो सुशील मोदी की नजदीकी के कारण इनका टिकट कटना मुश्किल है।
बात महागठबंधन की करें तो 2015 में राजद ने यहां 4 सीटे हासिल की। इनमें अलीनगर फिलहाल यह सीट राजद के कब्जे में है और 2015 विधानसभा चुनाव में अब्दुलबारी सिद्दीकी विधायक बने। पर 2019 में लोकसभा प्रत्याशी बनने के बाद क्या सिद्दीकी पुनः विधायक का चुनाव लड़ेंगे, इसपर भी संशय है।
ललित यादव ने राजद उम्मीदवार के रूप में लगातार जीत हासिल करते हुए 2015 में दरभंगा ग्रामीण विधानसभा से जीत हासिल की। फिलहाल क्षेत्र में कार्यो को लेकर कुछ जगह इनके विरोध की खबरें भी आयी। परंतु राजद में इनके कद को देखते हुए इनका टिकट पक्का माना जा रहा है।
बहादुरपुर विधानसभा में फिलहाल राजद की तरफ से भोला यादव विधायक हैं। लालू यादव के सबसे करीबी माने जाने के कारण इनका टिकट भी लगभग तय है।
केवटी विधानसभा से फ़राज़ फातमी ने राजद के टिकट पर जीत हासिल की। परंतु यहां अब स्थिति बदल चुकी है। फ़राज़ फातमी राजद को छोड़कर जदयू का दामन थाम चुके हैं। इनके तरफ से प्राथमिकता केवटी विधानसभा को ही दिये जाने की खबर है। वैकल्पिक तौर पर दरभंगा ग्रामीण की चर्चा भी सामने आयी। परंतु केवटी से सिटिंग होने के कारण गठबंधन में यह सीट जदयू कोटे से फ़राज़ फातमी को ही जाने की उम्मीद है।
बताते चलें कि 2015 में जदयू महागठबंधन के साथ था, जबकि फिलहाल एनडीए में भाजपा के साथ। ऐसे में टिकट बंटवारे में दरभंगा में महागठबंधन की अपेक्षा एनडीए को ज्यादा माथापच्ची करने की जरूरत पड़ने की उम्मीद है। भाजपा-जदयू के चार सीट के साथ यदि लोजपा को दो सीट मिलता है तो जदयू केलिए फ़राज़ फातमी को एडजस्ट करने केलिए किसी सिटिंग एमएलए का टिकट काटना पड़ेगा। ऐसे में यह सिरदर्द जदयू केलिए बड़ा घातक साबित हो सकता है। बात भाजपा की करें तो दावेदारों की सबसे बड़ी भीड़ भाजपा में दिख रही है। दरभंगा में भाजपा का कोर वोटर माने जाने ब्राह्मण समुदाय में ही सबसे ज्यादा दावेदार हैं। जबकि दो सिटिंग के अलावा दो ही विकल्प भाजपा के पास बचता है। ऐसे में एक सीट ब्राह्णण उम्मीदवार को दिये जाने की चर्चा है। इस परिस्थिति में दावेदारों के आक्रोश का सामना सबसे ज्यादा भाजपा को ही करने की उम्मीद है।
महागठबंधन में राजद का कम से कम 8 सीटों पर लड़ना तय माना जा रहा है। एक सीट इसबार काँग्रेस के खाते में जाने की उम्मीद है। जाले से कांग्रेस उम्मीदवार ऋषि मिश्रा की दावेदारी प्रबल मानी जा रही है। चर्चा है कि काँग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दो सीट चाहते हैं। खुद या पुत्र में से एक केलिए बेनीपुर से दावेदारी का भी प्रयास कर सकते हैं। पर इसकी उम्मीद कम ही है कि राजद काँग्रेस को दरभंगा में दो सीट देगा।
हालांकि चुनावी समर में अंतिम समय तक स्थिति-परिस्थिति में बदलाव की संभावना रहती है। इसलिए जबतक सीटों एवं टिकटों का आधिकारिक रूप से घोषणा नही हो जाता, सारी बातें कयास ही कहलायेगा।

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