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March 4, 2021

बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों केलिए एक दिवसीय उन्मुखीकरण प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन।

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दरभंगा: दरभंगा के विकास भवन अवस्थित डीआरडीए के सभागार में बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों(CWPOs) की एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलन कर दरभंगा के प्रभारी जिलाधिकारी श्री तनय सुल्तानिया के कर कमलों से किया गया। इस अवसर पर पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय, प्रधान सदस्य किशोर न्याय परिषद, दरभंगा अश्वनी कुमार जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी नेहा नूपुर ने सहयोग प्रदान किया।
इस अवसर पर बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए प्रभारी जिलाधिकारी ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा-107 के अंतर्गत जिले में विशेष किशोर पुलिस इकाई का गठन किया गया है। जिसकी अध्यक्षता पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय करते हैं। यह इकाई बालकों से संबंधित पुलिस के सभी कार्यों का समन्वय करते हुए। बच्चों का संरक्षण एवं किशोर न्याय अधिनियम के क्रियान्वयन में अन्य हितधारकों (Stackholders) के साथ मिलकर अपनी भूमिका का निर्माण करती है।
इस इकाई के अंतर्गत प्रत्येक थाने में एक अधिकारी जो थाना प्रभारी के बाद सबसे वरीय अधिकारी हो, को बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी के रूप में नामित किया गया है। बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी के पद का सृजन थाने में बच्चों के अनुकूल वातावरण बनाने और बच्चों से संबंधित मामलों के प्रति पुलिस को संवेदनशील बनाने के उद्देश्य किया गया है।
इस कार्यक्रम को जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी एवं प्रधान सदस्य किशोर न्याय परिषद, दरभंगा द्वारा भी संबोधित किया गया।
यूनिसेफ बिहार के विधि परामर्शी अजय कुमार एवं राकेश कुमार रंजन द्वारा सीडब्ल्यूपीओ के कर्तव्य एवं दायित्वों से अवगत कराया गया।
बताया गया कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा-32 में वर्णित है कि परिवार से पृथक बालक की सूचना न देने पर छह माह का कारावास या 10 हजार रुपये जुर्माना या दोनों दंड अधिरोपित किया जा सकता है।
धारा-42 के अनुसार गैर पंजीकृत संस्था प्रभारी होने पर 1 वर्ष का कारावास या 1लाख रुपये या दोनों दंड अधिरोपित किया जा सकता है।
इसी प्रकार धारा-75 के अनुसार बच्चों के प्रति क्रुरता के लिए 3 वर्ष का कारावास एवं 1लाख रुपये या दोनों दंड अधिरोपित किया जा सकता है।
धारा-76 के अनुसार बच्चों से भिक्षावृत्ति करवाने पर 5 वर्ष का कारावास या एक लाख रुपये या दोनों दंड अधिरोपित किया जा सकता है।
धारा-77 के अनुसार मादक द्रव्य का सेवन करवाने एवं धारा-78 के अनुसार मादक द्रव्य का व्यवसाय करवाने के लिए 7 वर्ष का कारावास या 1लाख रुपये या दोनों दंड अधिरोपित किया जा सकता है।
धारा-80 के अनुसार बिना प्रक्रिया के दत्तक ग्रहण के लिए 3 वर्ष का कारावास या 1लाख रुपये या दोनों दंड अधिरोपित किया जा सकता है।
धारा-79 के अनुसार बाल कर्मचारी का शोषण करने पर 5 वर्ष का कारावास या 1 लाख रुपये या दोनों दंड अधिरोपित किया जा सकता है।
धारा-81 के अनुसार बच्चों की बिक्री करना संज्ञेय अपराध है जिसके लिए 5 वर्ष का कारावास या 1लाख रुपये या दोनों दंड अधिरोपित किया जा सकता है।
धारा-83 के अनुसार युद्ध समूह द्वारा बच्चों का उपयोग संज्ञेय अपराध माना गया है जिसके लिए 7 वर्ष का कारावास या 5 लाख रुपये या दोनों अधिरोपित किया जा सकता है।
धारा-84 के अनुसार बच्चों के अपहरण के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा-359 से 369 के तहत सजा दी जाती है।

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