मामूली गलती केलिए फाइन देने को तैयार होने पर भी दरभंगा पुलिस करती है दुर्व्यवहार!
दरभंगा: दरभंगा की पुलिस चेकिंग के दौरान आमलोगों से किस प्रकार पेश आती है, इसका नमूना एक मीडियाकर्मी को भी झेलना पड़ा। दरअसल, वेब न्यूज पोर्टल वॉयस ऑफ दरभंगा के संपादक अभिषेक कुमार को शाम करीब पांच बजे चेकिंग के दौरान पुलिस वालों द्वारा कुछ आवश्यक कार्य से निकले लोगों को भी परेशान करने और दुर्व्यवहार करने की सूचना मिली। सूचना पर अभिषेक कुमार ने अपने घर मे जरूरत की दवा लेने केलिए दवा की पर्ची भी ले ली और उक्त स्थल के कवरेज केलिए भी निकले।
कवरेज में रहने और पूरे दिन बारिश होने के कारण उनका हेलमेट भींग गया था, जिस कारण उन्होंने हेलमेट को आगे हैंडल में लगा लिया था। बहादुरपुर थाना की पुलिस गौतम शरण सोनी नामक पदाधिकारी के नेतृत्व में चट्टी गुमटी के निकट डरहार मोड़ के पास के चेकिंग अभियान चला रही थी। उन्होंने अभिषेक कुमार को भी रोका और हेलमेट नही लगाने तथा निकलने का कारण पूछा। परिचय तथा कारण बताने पर भी उन्होंने भींगा हुआ हेलमेट पहनने को कहा। श्री कुमार ने भींगा हुआ होने के कारण बीमार होने का खतरा बताया। इसके लिए गाड़ी छोड़ पैदल भी दवा की पर्ची डिक्की से निकाल कर जाने को तैयार हो गये। इसपर उपस्थित पदाधिकारी गौतम शरण सोनी तमतमा गए और फाइन काटने का नाम बोला। इसपर श्री कुमार गलती स्वीकार करते हुए फाइन देने को तैयार हो गये। इसपर उन्होंने 500 की जगह हजार रुपये का फाइन काटने को कहा। उतना कैश नही रहने का कारण श्री कुमार पैदल घर गए और पैसा लाकर फाइन देने को तैयार हो गए।
इस पर वहां उपस्थित एक पुलिसकर्मी श्री कुमार का वीडियो बनाने लगे और उनसे हेलमेट नही पहनने का कारण पूछने लगे। इसपर श्री कुमार ने कहा कि जब अपनी गलती स्वीकार करके फाइन देने को तैयार हैं तो इस प्रकार का दुर्व्यवहार आपलोग क्यों कर रहे हैं!
इतना सुनकर पुलिस पदाधिकारी श्री सोनी ने फिर सारे कागजात दिखाने को कहा। सारे कागजात सही पाये गए। तभी उन्हें पॉल्यूशन सर्टिफिकेट की याद आ गयी। उन्होंने मांग कर दी। तत्काल बाइक में पॉल्यूशन सर्टिफिकेट नही रहने पर उन्होंने दस हजार का फाइन काटने को कह दिया। फिर दस हज़ार के साथ साथ हेलमेट का अलग से फाइन काटने को कहा।
इतना सुनकर वॉयस ऑफ दरभंगा के संपादक अभिषेक कुमार ने कहा कि इतनी राशि उनके पास नही है। यदि कोई वैकल्पिक उपाय हो कि चालान काट दें, और बाद में जमा कर सकें तो बता दें। इसपर उन्होंने कैश ही देने को कहा। इसपर श्री कुमार ने कहा कि आप गाड़ी का सीजर दे दें और गाड़ी रख लें।
संयोगवश वहां एक अन्य पत्रकार भी पहुँच गए और पदाधिकारी से वार्ता कर उन्होंने एवं कुछ पुलिसकर्मियों श्री कुमार को भींगा हेलमेट ही पहन लेने को कहा। अंत में इस कोरोनाकाल मे स्वास्थ्य को दांव पर लगाकर श्री कुमार ने भींगा हेलमेट पहन लिया और मामले का पटाक्षेप हुआ।
इनदिनों लॉकडाउन की मार से यूंही आमजन त्रस्त हैं। ऐसे में आवश्यक कार्य से निकलने पर भी पुलिस द्वारा नियम संगत दंड न करके दुर्व्यवहार करना, निश्चिय रूप से न्यायसंगत नही ठहराया जा सकता। यदि भींगा हेलमेट पहनने से सर्दी बुखार का संक्रमण हुआ और कोरोना का खतरा बढ़ा तो इसका जिम्मेवार कौन होगा! और जब परिचय देने के वाबजूद एक मीडियाकर्मी के साथ पुलिस ने ऐसा दुर्व्यवहार किया तो आमजनों से किस प्रकार पेश आती होगी, सहज समझा जा सकता है।
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