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September 20, 2022

नाबार्ड के सहयोग से जिले में 260 ग्रामीण महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर।

दरभंगा: कहते हैं भारत की आत्मां गांवों में बसती है, यही वजह है कि इन दिनों केंद्र सरकार ग्राम विकास पर सबसे अधिक ध्यान देती हुई नजर आ रही है। इसके लिए जहां एक ओर तमाम एजेंसियां कार्य कर रही हैं, वहीं इस दिशा में दरभंगा जिले में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) जो कार्य कर रहा है, वह अपने आप में बहुत ही सराहनीय है। नाबार्ड के सहयोग से दरभंगा जिले में 260 ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। नाबार्ड ग्रामीण महिलाओं की समूह बनाकर बकरी पालन और लाह की चूड़ी, गोबर से बनी कलात्मक वस्तुएं जैसे हवन सामग्री, दीपक, मूर्ति, गमला, पेंट वर्मी कंपोस्ट बनाने की ट्रेनिंग देती है। नाबार्ड महिलाओं को बैंकों से जोड़ने के साथ अगरबत्ती बनाना, जूस स्क्वैश, आचार बनाना, सिलाई-बुनाई, पापड़ और बैग बनाने का प्रशिक्षण भी देता है। नाबार्ड विभिन्न विभागों की मदद से पशुपालन, मुर्गी पालन और मधुमक्खी पालन से भी जोड़ रहा है। महिलाएं संगठित होकर यूनिट के रूप में समूह बनाकर इस व्यवसाय को शुरू करके कम लागत में अधिक मुनाफा कमाती है, जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिल रहा है और महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। इसी कड़ी के तहत एक माह के भीतर दरभंगा जिले के घनश्यामपुर प्रखंड की दउरी, नवटोलिया, गलमा और बुढ़ेव पंचायत, हनुमाननगर की अलेरा पंचायत और मनीगाछी प्रखंड की बझ्रपुरा पंचायत की महिलाओं का समूह बनाकर नाबार्ड ट्रेनिंग दे रही है। यह प्रशिक्षण जीविका उद्यम विकास योजना और सूक्ष्म उद्यम विकास योजना के तहत दिया जा रहा है। प्रशिक्षण में ग्रामीण महिलाओं को वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन, स्टॉल फुडिंग, मॉडल सेट, ह्यूमन हेल्थ प्रैक्टिस के तहत वैक्सीनेशन की जानकारी दी जाती है। 

महिला स्वयं सहायता समूह के गठन का उद्देश्य गांव की महिलाओं को संगठित कर बचत की भावना और आय प्रबंधन क्षमता को देना है बढ़ावा : डीडीएम आकांक्षा

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जिला विकास प्रबंधक आकांक्षा ने बताया कि वर्ष भर के भीतर जिले की एक हजार ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य हैं। इसी दिशा के तहत नाबार्ड जिले में कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि जिले के किसी भी सुदूर कौने का कोई ग्राम क्यों ना हो, वहां हरहाल में हर घर में रोजगार उपलब्धर कराकर गांवों की तस्वीर गढ़ने एवं उसे सुदृढ़ करने का कार्य नाबार्ड कर रही है। नाबार्ड हस्तकला शिल्पकारों को प्रशिक्षण उपलब्ध कराता है एवं इन वस्तुओं की प्रदर्शनी के लिए एक मार्केटिंग प्लेटफॉर्म विकसित करने में उनकी मदद करती है। ताकि, विभिन्न कृषि प्रक्रियाओं के अनुकूलन एवं ग्रामीण लोगों के उत्थान को सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने बताया कि महिला स्वयं सहायता समूह के गठन का उद्देश्य गांव की महिलाओं को संगठित कर बचत की भावना और आय प्रबंधन क्षमता को बढ़ावा देना है। आर्थिक विकास में महिलाओं की बड़ी भागीदारी है, लेकिन बैंक सिक्योरिटी न होने के कारण महिलाएं ऋण नहीं ले पा रहीं थी। इसका निराकरण करने के लिए नाबार्ड ने महिला स्वयं सहायता समूह और संयुक्त देयता समूह प्रणाली का विकास किया। साथ ही लोकल फॉर वोकल के तहत स्वरोजगार के सपने को साकार करने को लेकर महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है।

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