बीपीएससी के निर्णय को अदालत में चुनौती देगा विद्यापति सेवा संस्थान।
दरभंगा: बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा गुपचुप तरीके से इसकी 68वीं प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की संरचना में किए गए संशोधन में व्याप्त विसंगतियों को उजागर करने के लिए जन जागरण अभियान की 24 जनवरी को सहरसा से होने वाली शुरुआत से पहले संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने रविवार को इस मसले पर पटना में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राज्य सभा सांसद पद्मश्री डॉ० सीपी ठाकुर, राज्य सभा सांसद विवेक ठाकुर, चेतना समिति की अध्यक्ष निशा झा एवं पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रेम कुमार झा आदि से रायशुमारी की। इस दौरान संस्थान के मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा भी उनके साथ थे।
जानकारी देते हुए डॉ० बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने बताया कि संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं को इस परीक्षा की वैकल्पिक विषयों की सूची से हटाये जाने और मेधा सूची में इन विषयों के प्राप्तांक को नहीं जोड़े जाने के प्रावधान पर गहरी नाराजगी जताते हुए डा सीपी ठाकुर ने कहा कि इस मसले पर वे बिहार सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध आयोग द्वारा उठाए गए इस कदम से भाषा साहित्य के प्रतिभावान छात्रों को काफी नुकसान होना अवश्यंभावी है। विवेक ठाकुर ने आयोग के इस निर्णय की निन्दा करते कहा कि इसके खिलाफ वे सदन में जोरदार आवाज उठाएंगे।
चेतना समिति की अध्यक्ष निशा झा ने कहा कि बिहार लोक सेवा आयोग के इस निर्णय को विरूद्ध विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में चलाए जा रहे हर अभियान में वे चेतना समिति की पूरी टीम उनके साथ रहेगी। वे उनके साथ न सिर्फ मैथिली भाषी लोगों के बीच जाएंगे, बल्कि उचित न्याय के लिए सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन का बिगुल फूंकने के साथ ही नैसर्गिक न्याय पाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने में भी उनके साथ रहेंगे।
डॉ० बैजू ने इस यात्रा के दौरान पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रेम कुमार झा से भी मुलाकात की। उनसे हुई मुलाकात में उन्होंने इस मसले के कानूनी पक्षों पर रायशुमारी की। उन्होंने बताया कि श्री झा ने इस मामले की कानूनी पहलुओं की बारीकी से पड़ताल करते हुए कहा कि यह कानूनी रूप से बिहार लोक सेवा आयोग का यह निर्णय सर्वथा अनुचित है और उसे हर हाल में अपना यह निर्णय वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। डॉ० बैजू ने बताया कि सोमवार को इस मसले पर देश के महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री, बिहार के मुख्यमंत्री, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष आदि को विरोध पत्र भेजे जाने के बाद इस मसले पर पटना उच्च न्यायालय में अगले सप्ताह याचिका दायर की जाएगी।
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