जल संरक्षण को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करें राजनीतिक दल: नारायणजी।
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दरभंगा: दरभंगा में जल संकट की शुरुआत 1998 से 2000 ईसवी के बीच ही हो गई थी। लगभग 20 प्रतिशत चापाकल दोपहर में पानी छोड़ने लगे थे। धरती ने उसी समय संकेत दे दिया था कि जल का भंडारण अब आवश्यक है। 25 साल का समय एक बड़ा समय होता है प्रशासन और समाज केलिए, पर किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। फलस्वरूप आज जलसंकट की स्थिति भयावह हो गयी है।
उपरोक्त बातें तालाब बचाओ अभियान समिति के संयोजक नारायणजी चौधरी ने कहीं। वे शुक्रवार को शहर के बलभद्रपुर अवस्थित खादी भंडार परिसर में विश्व जल दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जल संरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट, हइकोर्ट एवं ग्रीन ट्रिब्यूनल के जितने भी आदेश हैं, उन सबका कितना पालन हुआ, इसका सोशल ऑडिट होना चाहिए। इसके लिए प्रथम चरण में मिथिला के तीन जिलों दरभंगा, मधुबनी एवं समस्तीपुर के दो दो प्रखंडो का चयन किया जाए, जिनमे एक शहरी क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र का प्रखंड हो। इन प्रखंडो में स्थानीय प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा जल संरक्षण केलिए दिए गए आदेशो का कितना प्रतिशत पालन किया गया है, इसकी रिपोर्ट तैयार कर सार्वजनिक किया जाए।
इसके अलावा श्री चौधरी ने जल संरक्षण को सभी राजनीतिक दलों द्वारा अपने चुनावी एजेंडे में शामिल करने का भी आह्वान किया। इसके लिए एक कमिटी सभी राजनीतिक दलों के जिलाध्यक्षों से मिलकर जल संरक्षण को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने का आह्वान करेगा।
कार्यक्रम के दौरान तालाब बचाने केलिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आधा दर्जन सामाजिक कार्यकर्ताओं को डॉ विनय कुमार मिश्रा द्वारा मेडल पहना कर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन अजित कुमार मिश्रा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन अभिषेक कुमार झा ने किया।
कार्यक्रम के दौरान मो0 तासिम नवाब, कन्हैया लाल महतो, मनोज साह, जयशंकर प्रसाद, कुमारी पलक, नागेश्वर दास, प्रो0 शारदानन्द चौधरी, उमेश राय, डॉ अशोक कुमार सिंह, सुजीत चौधरी, प्रतिभा झा, वीणा देवी आदि ने भी अपने विचार रखे।
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