Home Featured मां जानकी की तरह आज भी मिथिला के लोगों को गुजरना पड़ता अग्निपरीक्षा के दौर से: बैजू।
May 17, 2024

मां जानकी की तरह आज भी मिथिला के लोगों को गुजरना पड़ता अग्निपरीक्षा के दौर से: बैजू।

दरभंगा: श्री सीता प्राकट्य दिवस जानकी नवमी के उपलक्ष्य में शुक्रवार को विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में जानकी पूजनोत्सव सह मैथिली दिवस समारोह गुरुवार को आयोजित किया गया। संस्थान के प्रधान कार्यालय परिसर स्थित मिथिला भवन के सभागार में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन संयुक्त रूप से राज्यसभा सांसद डॉ. धर्मशीला गुप्ता, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो लक्ष्मी निवास पांडेय, जगतगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट के कुलपति प्रो. शिशिर कुमार पांडेय, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. शशिनाथ झा, पं देव नारायण झा एवं पं उपेंद्र झा, पूर्व विधान पार्षद डॉ दिलीप कुमार चौधरी, मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा, रोसड़ा कालेज के प्रधानाचार्य डॉ घनश्याम राय, एलएनएमयू के पूर्व कुलसचिव प्रो अजीत कुमार सिंह, डॉ टुनटुन झा अचल आदि ने मिलकर किया। बतौर उद्घाटनकर्ता राज्यसभा सांसद डॉ धर्मशीला गुप्ता ने कहा कि हमलोग भाग्यशाली हैं, जो हम मिथिला में जन्म लिए। क्योंकि मिथिला मां जानकी की है और मां जानकी मिथिला की। मां जानकी का जन्म मिथिला में होना हम सभी का सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में मिथिला के पाहुन राम का भव्य मंदिर बनने का बाद माता सीता की प्राकट्य भूमि पुनौरा धाम में भी मंदिर निर्माण की कवायद अब तेज हो गई है और वह दिन दूर नहीं जब भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने वाली मिथिला की धिया सिया की प्राकट्य स्थली पुनौरा धाम में भी भव्य मंदिर निर्माण होगा। उन्होंने अपने संबोधन में मिथिला के लोगों को भरोसा दिलाया कि पुनौरा धाम में मंदिर निर्माण होने तक वह चैन से नहीं बैठेंगी। साथ ही जानकी नवमी को अगले साल से राजकीय पर्व के रूप मनाये जाने के लिए वह सक्रिय प्रयास करेंगी।

मौके पर बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में जगतगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट के कुलपति प्रो शिशिर कुमार पांडेय ने कहा कि धन्य है मिथिला की धरती जहां मां मैथिली ने अवतार लिया। भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने में माता सीता की भूमिका अहम है। यह निर्विवाद सत्य है कि बिना जानकी के राम कभी मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं पाते। उन्होंने मां जानकी को अष्ट सिद्धि व नौ निधि की दातृ बताते हुए विभिन्न रामायणों में वर्णित जानकी के जीवन दर्शन का विस्तार से रेखांकित किया।

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कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो लक्ष्मी निवास पांडेय ने कहा कि इसमें तनिक भी संदेह नहीं है कि मिथिला विद्वानों की धरती है। यहां की वाणी काफी मधुर है और यहां के लोग उससे भी अधिक धैर्यवान हैं। उन्होंने मां जानकी को त्याग व समर्पण का बेहतर उदाहरण बताते कहा कि उन्होंने एक पत्नी, मां, बेटी, बहू व भाभी की जो आदर्श छवि प्रस्तुत की, वह आज भी मिथिला की संस्कृति और संस्कार में कायम है, यह मिथिलावासी के लिए निश्चित रूप से गौरव की बात है। उन्होंने कहा देश भर में बन रहे विभिन्न कॉरिडोर का हवाला देते कहा कि राम जन्मभूमि एवं जानकी प्राकट्य स्थली कॉरिडोर बनने से सनातन धर्म में निहित संस्कार और संस्कृति को बल मिलने के साथ ही इस क्षेत्र में रोजगारपरक विकास के नये दरवाजे भी खुलेंगे।

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