Home Featured एम्स का श्रेय लेने की होड़ में लगे नेताओं को नहीं है डीएमसीएच के खराब पड़े ऑक्सीजन प्लांटों की सुध!
September 1, 2024

एम्स का श्रेय लेने की होड़ में लगे नेताओं को नहीं है डीएमसीएच के खराब पड़े ऑक्सीजन प्लांटों की सुध!

दरभंगा: अबतक अधर में लटके दरभंगा एम्स और डीएमसीएच में बनकर तैयार उद्घाटन की बाट जोह रहे सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के श्रेय लेने की होड़ नेताओं पर जबरदस्त दिखती है। पर जो सुविधा लाखों करोड़ों की लागत से दी गयी, उसका उपयोग हो रहा है या नहीं, इसे देखने की फुर्सत किसी को नहीं है।

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ताजा मामला दरभंगा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में 4 आक्सीजन प्लांट में तीन के खराब रहने का सामने आया है। इसमें एक लिक्विड और तीन प्रेशर स्विंग (पीएसए) ऑक्सीजन प्लांट है। जो करीब एक वर्ष से खराब है। इसे ठीक कराने की कई बार कवायद हुई पर हर बार कुछ दिनों तक कार्य करने के बाद प्लांट खराब हो गया। फिलहाल तीनों आक्सीजन प्लांट खराब है।

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वहीं चौथा 20 हजार लीटर की क्षमता वाले लिक्विड प्लांट से न्यू सर्जरी भवन, कोरोना यूनिट, ट्रामा सेंटर, मेडिसिन वार्ड और ईएनटी में आक्सीजन की सप्लाई हो रही है। वैसे इस प्लांट की क्षमता इतनी है कि डीएमसीएच के सभी विभागों में आक्सीजन की सप्लाई हो सकती है।

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इसके बावजूद इस प्लांट से महज 200 मीटर दूर इमरजेंसी विभाग और करीब 500 मीटर दूर आईसीयू को नहीं जोड़ा गया है। इस वजह से डीएमसीएच प्रशासन इन जगहों पर ऑक्सीजन सिलेंडर के भरोसे है। ऑक्सीजन प्लांट रहते हुए भी डीएमसीएच को ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदना पड़ रहा है। इस कारण सात से आठ लाख रुपए की फिजूलखर्ची हो रही है। पूरी खपत नहीं होने के कारण लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट का प्रेशर (तापमान) बढ़ जाता है और उसे कम करने के लिए आक्सीजन उड़ाना पड़ रहा है।

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बताया जाता है कि प्रेशर बढ़ने पर लिक्विड प्लांट से आक्सीजन को नहीं उड़ाया गया तो प्लांट का सेफ्टी लॉक फट जाएगा और स्वतः सारा आक्सीजन बाहर निकल जाएगा। इसके कारण आक्सीजन हवा में उड़ाई जा रही है।

जानकरों का कहना है कि अगर डीएमसीएच के सभी विभागों को पाइप लाइन के जरिए लिक्विड प्लांट से जोड़ दिया जाए तो लाखों की रुपए की बचत होगी। साथ ही ऑक्सीजन भी नहीं उड़ाना पड़ेगा।

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डीएमसीएच के उपाधीक्षक डॉक्टर हरेंद्र कुमार ने बताया कि बंद पड़े ऑक्सीजन प्लांटों की सर्विसिंग और लिक्विड प्लांट से विभागों को जोड़ने के लिए कई बार बीएमआईएससीएल को पत्र लिखा गया है। जबतक बचे विभागों में लिक्विड प्लांट से आक्सीजन की सप्लाई नहीं होती है तबतक सिलेंडर खरीदना पड़ेगा।

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