Home Featured पाग शोभा यात्रा के साथ दरभंगा महोत्सव का हुआ आगाज।
February 6, 2025

पाग शोभा यात्रा के साथ दरभंगा महोत्सव का हुआ आगाज।

दरभंगा: मिथिला की सांस्कृतिक विरासत और औद्योगिक संभावनाओं को संजोए हुए दरभंगा महोत्सव का शुभारंभ पाग शोभा यात्रा से हुआ। यह भव्य यात्रा विद्यापति चौक से प्रारंभ होकर वहाँ स्थित महाकवि विद्यापति की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद श्यामा माई मंदिर पहुँची। वहाँ मां श्यामा से महोत्सव की सफलता की कामना की गई।

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महोत्सव के तीसरे सत्र में कामेश्वर नगर स्थित चौरंगी पर “मिथिला में औद्योगिक विकास और स्वरोजगार की संभावनाएँ” विषय पर चिंतन शिविर आयोजित किया गया। इस सत्र की शुरुआत ऋषभ के मंगलकारी शंखनाद से हुई, जिसके बाद गौरव झा ने अपनी मधुर आवाज से स्वागत गीत प्रस्तुति से अतिथियों का अभिनंदन किया।

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कार्यक्रम में मुख्य अतिथि चेतना समिति की अध्यक्ष निशा झा, परियोजना पदाधिकारी (उद्योग विभाग) शुरूचि झा, पूर्व प्रधानाचार्य प्रो. विद्यानाथ झा, इतिहासकार अविनिन्द्र झा, जयशंकर झा सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि निशा झा ने अपने उद्बोधन में महाराज रामेश्वर सिंह की औद्योगिक नीतियों को याद करते हुए कहा,” यदि मिथिला पुनः उसी स्वरूप में स्थापित हो जाए, तो क्षेत्र का नवोत्थान निश्चित है। बिहार के उद्योग और पर्यटन मंत्री मिथिला से हैं, अतः वे यहाँ के बुद्धिजीवियों से सुझाव लेकर औद्योगिक विकास को गति दें।”उन्होंने विशेष रूप से मिथिला के कुटीर उद्योगों के बाजारीकरण पर बल देते हुए सरकार से नीति-निर्माण की मांग की।

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इतिहासकार अविनिन्द्र झा ने मिथिला के स्वर्णिम औद्योगिक इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा,कपास और बुनाई उद्योग यहाँ कभी अत्यंत समृद्ध थे। कृषि और पशुपालन भी इस क्षेत्र के आर्थिक विकास की रीढ़ रहे हैं। यदि इन पर सही योजना बनाकर कार्य किया जाए, तो मिथिला की अर्थव्यवस्था को संजीवनी मिल सकती है।परियोजना पदाधिकारी शुरूचि झा ने स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की।

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अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. विद्यानाथ झा ने कहा,मिथिला के व्यंजनों में ‘मखान’ को वैश्विक पहचान मिल चुकी है, अब जरूरत है कि अन्य स्थानीय उत्पादों को भी बाजारीकरण के माध्यम से विस्तार दिया जाए। साथ ही, मिथिला के ‘रेहू’ को जीआई टैग दिलाने की पहल को तेजी दी जानी चाहिए,जिससे यहां मछली का बाजार समृद्ध होगा। जयशंकर झा, नारायण जी चौधरी, प्रो अशोक कुमार सिंह सहित अन्य विद्वतजनों ने भी अपने विचारों को रखा।

महोत्सव के तीसरे सत्र में सांस्कृतिक संध्या में मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित ‘गीतनाद’ श्रृंखला का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय युवा कलाकारों ने अपनी मधुर प्रस्तुतियों से सभी को भावविभोर कर दिया।

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लोकगायिका चांदनी झा चकोर ने “तोरे भरोसे ब्रह्म बाबा” गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं को मिथिला की सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ा। वहीं, गौरव झा, आलोक भारती, शोभा भारती, मौसम चौधरी, ऋषभ भारद्वाज, सुमित झा और प्रिया प्रशांत ने भी अपनी सुमधुर गायकी से समां बाँध दिया।

कार्यक्रम के अंत में संचालक संतोष चौधरी ने कहा कि चिंतन शिविर में प्राप्त सुझावों और विचारों को मूर्त रूप देने के लिए आयोजन समिति सतत कार्य करेगी। कार्यक्रम के संयोजक अभिषेक कुमार झा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया वही अमित कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में सपना,आकृति, रूपेश ,रणवीर, ललित, केशव सहित सैकड़ो सदस्यों ने अपनी सहभागिता दी।

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