Home Featured गजब! बिन खता सजा भुगत रहे युवाओं को डीएम से मिलने पर भी नही पता चल पाया अपनी खता!
August 9, 2019

गजब! बिन खता सजा भुगत रहे युवाओं को डीएम से मिलने पर भी नही पता चल पाया अपनी खता!

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दरभंगा। अभिषेक कुमार
दरभंगा: इस देश का कर्णधार युवाओं को कहा गया है और युवा शक्ति को राष्ट्र शक्ति का नाम दिया जा रहा है। सरकार भी युवाओं को प्रोत्साहन देने एवं रोजगार केलिए तमाम योजनाओं को लाती रहती है। पर इसी सरकार के नुमाइंदे कहीं न कहीं युवाओं के हौसले पर चोट कर उन्हें शुरुआती दौड़ में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा कर राष्ट्र सेवा की भावना को रौंदने का प्रयास करते नजर आये हैं।
दरभंगा के जिलाधिकारी डॉ0 त्यागराजन एसएम की कर्मठता और जनहितैषी भावना लगातार हाल के दिनों में भी देखने को मिली है। पर उनके मातहत जिले स्तर के अधिकारी भी कितने अनुशासित और कर्तव्यपरायण हैं, इसकी पोल भी हाल के दिनों अच्छे से खुली है। हालांकि जिलाधिकारी ने संज्ञान तो ऐसे मामलों में लिया जरूर है, पर संज्ञान और कारवाई होने तक विभाग की किरकिरी अच्छे से हो गयी है।
ताजा एक और मामला कहीं जिला प्रशासन की किरकिरी न करा दे यदि समय रहते संज्ञान न लिया गया तो। मामला नेहरू युवा केन्द्र के 38 स्वयंसेवकों के चयन को निरस्त करने को लेकर है। चयन को निरस्त करने के विरुद्ध चयनिय युवा एक बड़ा गंभीर सवाल खड़ा कर रहे हैं, जिसका जवाब उन्हें शुक्रवार को जिलाधिकारी से मिलकर पूछने पर भी नही मिला। जिन चयनित युवाओं का चयन अचानक बिना कुछ बताये निरस्त कर दिया गया, उसमे उन युवाओं का क्या कसूर था जो चयनित हुए थे! उन्होंने तो चयन प्रक्रिया के तहत जारी दिशा निर्देशों का पालन किया, जिलाधिकारी द्वारा प्रतिनियुक्त उनके प्रतिनिधि अपर समाहर्ता द्वारा आयोजित साक्षत्कार में भाग लिया, सारी अहर्ताएं पूर्ण करने के बाद मेधा सूची प्रकाशित हुई। 38 युवक-युवतियों का चयन हुआ। फिर पता चला कि गड़बड़ी और धांधली की शिकायत असफल अभ्यार्थियों में से दो चार के द्वारा की गई। इसपर बताया जाता है पुनः उसी अधिकारी को डीएम द्वारा जाँच की जिम्मेवारी दी गयी। और सफल अभ्यर्थियों में से किसी का न कोई पक्ष लिया गया न कोई सूचना दी गयी। बस आनन फानन में खानापूर्ति कर जाँच रिपोर्ट त्वरित गति से बना दी गयी और गड़बड़ी को सत्य पाया गया। तथा इसी अनुशंसा पर इन युवाओं का चयन निरस्त कर दिया गया। एक और जहां जांच कमिटी बनने और रिपोर्ट तैयार होने में सरकारी महकमो में महीनों और सालों लग जाते हैं, वहीं मात्र तीन दिन में जांच की सारी प्रक्रिया पूरी करके चयन को निरस्त भी कर दिया गया।
अब सवाल यह उठता है कि यदि चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई, तो क्या गड़बड़ी हुई, ये जानने का हक उन्हें नही है जो चयनित हुए थे और अचानक इस फैसले से सीधे प्रभावित हो रहे हैं! और अगर गड़बड़ी या धांधली हुई तो धांधली के दोषी निश्चित रूप से सम्बद्ध अधिकारी होंगे, न कि चयनित होने वाले युवा। तो क्या जिम्मेवार अधिकारी को बचाने केलिए क्या इन युवाओं के हौसले और भविष्य की बलि दी जा रही है! निश्चित रूप से इन बड़े सवालों को दबाने का प्रयास कहीं न कहीं देश सेवा की भावना रखने वाले युवाओं के हौसले को तोड़ेगा और कहीं न कहीं ऐसे ही सिस्टम का शिकार युवा मार्ग भटकते हैं तो देश और समाज केलिए उनके दिल मे सेवा की भावना खत्म होकर दुर्भावना जन्म ले चुकी होती है।
बहरहाल तीन दिनों से दौड़ लगाने के बाद शुक्रवार को जिलाधिकारी से मिलने के बाद इन युवाओं ने बताया कि उन्हें अभी भी उम्मीद है कि जिलाधिकारी उनके साथ अन्याय नही होने देंगे और बिना कसूर के उन्हें सजा नही भुगतनी पड़ेगी। साथ ही साथ ईन युवाओं ने निश्चय किया है कि इस मामले को लेकर जिस हद तक जाना होगा, वे जाने को तैयार हैं ताकि आगे किसी युवा की भावना को यूं ठेस न पहुंचाया जा सके।
सारी बातों के बीच यक्ष प्रश्न यह बना ही हुआ है कि यदि चयन में गड़बड़ी हुई भी तो जिम्मेवार कौन? क्या गड़बड़ी केलिए चनयित होने वालो को सजा भुगतना, अंधेरी नगरी-चौपट राजा की कहानी को चरितार्थ करता नजर नही आता! जो भी हो, यदि चयन निरस्त करने के आदेश को वापस न करके, फिर से चयन यदि जिम्मेवार पदधारी पर कारवाई के बिना यदि होता है, और क्या गड़बड़ी हुई, इसे पारदर्शिता के साथ सामने नही लाया जाता है, तो यह कहीं न कहीं बड़ा यक्ष प्रश्न बनकर जिला प्रशासन की निष्पक्षता पर खड़ा जरूर रहेगा।

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