Home Featured मिथिला में पौराणिक संस्कृति का संचार आवश्यक : अविनाश भारद्वाज।
September 8, 2019

मिथिला में पौराणिक संस्कृति का संचार आवश्यक : अविनाश भारद्वाज।

दरभंगा:मनीगाछी प्रखंड के भट्टपुरा गांव में मनीषी मंडन मिश्र के गुरू कुमारिल भट्ट रथयात्रा के संबंध में एक बैठक का आयोजन किया गया । मिथिला स्टूडेंट यूनियन के स्थानीय सेनानी अभय अमन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में कुमारिल भट्ट का भट्टपुरा से संबंध एवं मिथिला के पौराणिक धरोहरों के प्रति लोगों को जागृत करने के विषय पर चर्चा की गई ।

बैठक को संबोधित करते हुए मिथिला स्टूडेंट यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनास भारद्वाज ने बताया कि ,मिथिला प्राचीनकाल से विद्वानों एवं मनीषियों की धरा रही है । यहाँ अनेकानेक ऐसे विद्वान हुए जो अपनी विद्वता की यश कीर्ति से पुरे विश्व को प्रकाशित किया है । यही कारण है कि मिथिला को विद्वानों की धरती कहा गया है । ऐसे कई विद्वान हुए जिन्हें पुरे विश्व में तो याद किया जाता है लेकिन उनको उनकी धरा मिथिला के जनमानस भुलते जा रहे है । जिसका कारण है यहाँ के लोगों का पौराणिक धरोहरों एवं संस्कृति के प्रति जनचेतना का अभाव । मिथिला स्टूडेंट यूनियन मिथिलावासियों में पौराणिक संस्कृति के प्रति नवचेतना का संचार करने के प्रति कटिबद्ध है ।
कुमारिल भट्ट का भट्टपुरा से संबंध पर चर्चा करते हुए ग्रामीण मलय नाथ मिश्रा ने कहा कि पुराने जनश्रुति के अलावे बहुत ऐसे तथ्य और प्रमाण है जो कुमारिल भट्ट के डीह के रूप में भट्टपुरा को चिन्हित करती है । जिसमें गौरवशाली बिहार एवं कुमारिलभट्टविरचित मीमांसाश्लोकवर्त्तिका नामक पुस्तक के अलावे सबसे ठोस सबुत यह है कि सन् 1993 ई. में जगन्नाथपुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी के द्वारा भट्टपुरा में कुमारिल भट्ट के प्रतिमा एवं द्वार का शिला पुजन करना है ।
ब्रह्मपुरा-भट्टपुरा के पूर्व मुखिया श्याम मिश्र ने कहा कि एमएसयू द्वारा ऐतिहासिक एवं पौराणिक धरोहरों को संरक्षित करने की प्रयास की पुरा मिथिला स्वागत एवं प्रशंसा कर रही है । शांति फाउंडेशन के संतोष मिश्रा ने फोन पर बताया कि मिथिला की धरती जो शुसुक्त अवस्था में चली गई है उसे पुनः जागृत करने के लिए लोगों में पौराणिक सांस्कृतिक चेतना जागृत करना आवश्यक है , एमएसयू एवं शांति फाउंडेशन लोगों में इन नव चेतना जागृत करने के लिए प्रयासरत है । उन्होनें कहा कि कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय ने भी इस कार्यक्रम के लिए यथासंभव सहयोग का आश्वासन दिया है ।
मिडिया काॅर्डिनेटर घनश्याम झा ने बताया कि छठी सातवीं शताब्दी के मध्य हुए इस दार्शनिक एवं विद्वान कुमारिल भट्ट के जन्म स्थान का निर्णय शोध का विषय है पंरतु कुमारिल भट्ट के प्रवास या अध्ययन संस्थान का काल के परिस्थिति के अनुसार स्थान का निर्धारण किया जा सकता है। भट्टपुरा ग्राम के समीप वाणेश्वरी बुद्ध रूपा मुर्ति
,विदेश्वर नाथ का राजत्यागी विदेह राज का काशी दर्शन के बाद स्थापना कुमारिल भट्ट का भी काशी रानी के द्वारा धर्म रक्षा उत्प्रेरण,प्रख्यात लोहनी नदी और लोहनी देवी लोहनी श्मशानघाट, तंत्र साधना शिक्षण स्थल का प्रभाव कालांतर में आसपास तारा एंव तंत्र साधको की प्रचुरता ,सभी पर चीनाचार पद्धति का प्रभाव,
भट्टपुरा ग्राम का अवस्था शंकुआकार जमीन ,
तक्षशिला से बौद्ध अध्ययन के बाद संभवतः अपने शिष्यों एंव स्वंय के लिऐ बौद्ध अध्ययन का प्रायोगिक मंथन एंव परिक्षण स्थल , इसी क्रम मंडन मिश्र का शिष्यता ग्रहण और मंडन मिश्र का संबंध इस स्थल के आसपास होने की प्रमाणिकता एवं जनश्रुति कहीं ना कहीं कुमारिल भट्ट का संबंध इस स्थल से होने की पुष्टि करती है ।
सभी तथ्यों पर चर्चा के बाद आगामी रथयात्रा एवं कार्यक्रम तथा कुमारिल भट्ट से जुड़े स्थलों के विकास के लिए ग्रामीण स्तर पर कुमारिल भट्ट विकास समिति नामक एक कमिटी का गठन किया गया । जिसमें तत्काल अभय अमन सिंह, मलय नाथ मिश्रा , चित्रनाथ झा , रमानाथ मिश्रा , शंकर मंडल , श्याम मिश्रा , विग्नेश मिश्रा , नंदलाल मंडल , द्वारिकानाथ झा , सुमन कुमार एवं आदित्य कुमार मंडल को शामिल किया गया है हालांकि समिति में सदस्यों की संख्या को और बढ़ाया जाएगा । बैठक में कुमारिल भट्ट द्वार का निर्माण जल्द सुरू करने का निर्णय लिया गया एवं आगामी रथयात्रा कार्यक्रम जोकि भट्टपुरा से सहरसा जिला के महिषी तक आयोजित की जाएगी इसको लेकर कार्य योजना पर विचार विमर्श किया गया । रथयात्रा लगभग दो महिने बाद आयोजित कि जाएगी जिसकी घोषणा जल्द की जाएगी । बैठक में एमएसयू के सिवेंद्र वत्स , घनश्याम झा , सुदर्शन झा , रमेश झा , संजीव कुमार , अविनास काश्यप , सहित सैकड़ो ग्रामीण भी उपस्थित होकर अपनी विचारों को रखा ।

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