लंबे इंतजार के बाद चालू हुआ डीएमसीएच का आई बैंक।
दरभंगा: डीएमसीएच का आई बैंक अब पूरी तरह कार्यरत हो चुका है। जो लोग मरणोपरांत नेत्रदान की इच्छा रखते हैं, वे विभाग पहुंचकर फॉर्म भरकर अपनी स्वीकृति दे सकते है।
दअरसल, लंबे इंतजार के बाद आखिरकार शक्रवार से डीएमसीएच में आई बैंक कार्यरत हो गया। कुछ मामूली उपकरणों की कमी के कारण इसमें काम शुरू नहीं हो पा रहा था।
आई बैंक के कार्यरत होने से अब उत्तर बिहार के लोगों को कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। साथ ही मरणोपरांत नेत्रदान करने की लोगों की इच्छा अब पूरी हो सकेगी। यहां कॉर्निया ट्रांसप्लांट होने से दृष्टिहीन को नया जीवन मिल सकेगा।

आई बैंक के कार्यरत होने पर दरभंगा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ0 केएन मिश्रा ने प्रसन्नता जाहिर की। आंख विभाग के सभागार में आयोजित सादे समारोह में उन्होंने कहा कि आई बैंक को चालू करने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा था। अब कार्यरत होने के बाद लोगों को इसका पूरा लाभ मिल सकेगा। प्राचार्य ने कहा कि भले समस्याएं अनेक हों, लेकिन उनका हल निकालने की दिशा में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। आंख विभाग की अध्यक्ष डॉ0 अलका झा ने कहा कि नेत्रदान के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।
अधीक्षक डॉ0 हरिशंकर मिश्रा ने कहा कि आई बैंक का संचालन बहुत पहले शुरू हो जाना चाहिए था। विभिन्न कारणों से ऐसा नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि डीएमसीएच के आंख विभाग की पूरे सूबे में अलग गरिमा रही है। आई बैंक के कार्यरत हो जाने से इसमें चार चांद लग गया।
इस महीने के आखिर से सितंबर के पहले सप्ताह तक नेत्रदान पखवाड़ा आयोजित किया जाएगा। इस दौरान लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष ड्राइव चलाया जाएगा। आई बैंक कार्यरत होने को लेकर उन्होंने अधीक्षक के प्रयासों की सराहना की। शहर के जाने-माने नेत्र रोग विशेषज्ञ व आंख विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार ने लोगों से नेत्रदान के लिए आगे आने की अपील की। उन्होंने कहा कि नेत्रदान कर लोग पुण्य के भागी हो सकते हैं। मरणोपरांत वे दूसरों को अपने नेत्र देकर उनके माध्यम से दुनिया देख सकते हैं।
कार्यक्रम का संचालन व धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 रणधीर कुमार ने किया।
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