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September 13, 2019

भारतीय संस्कृति की आश्रम व्यवस्था पूर्णतया व्यवहारिक एवं वैज्ञानिक : डॉ मार्कंडेय नाथ ‌।

दरभंगा : सीएम कॉलेज में दिनांक 5 सितंबर से चल रहे इंडक्शन प्रोग्राम (दीक्षारंभ कार्यक्रम) के अंतिम दिन आज विभिन्न विभागों के द्वारा विशेष व्याख्यान, रचनात्मक कार्यक्रम तथा क्षेत्र-भ्रमण आदि कराया गया।अंत में छात्र-छात्राओं से फीडबैक भी लिए गए।
इस अवसर पर संस्कृत, गणित एवं दर्शनशास्त्र के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ,नई दिल्ली के सांख्य-योग के विभागाध्यक्ष डॉ मार्कंडेय नाथ तिवारी ने प्रथम सत्र में भारतीय संस्कृति की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि इसमें सबों के लिए मंगलकामना की गई है तथा वसुधैव कुटुंबकम की भावना व्यक्त की गई है। यह विश्व में सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है ।ईश्वर सर्वव्यापक,सर्वशक्तिमान तथा ज्ञानमय हैं।इन्हें ही हम विभिन्न रूपों में देखते और समझते हैं।सांसारिक माया मोह को त्याग कर जिन्होंने अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण कर लिया,वे देवतुल्य हो जाते हैं।भारतीय संस्कृति की चार आश्रम-व्यवस्था पूर्णतया व्यवहारिक एवं वैज्ञानिक है। इससे परिवार एवं समाज सुव्यवस्थित होते हैं।हमारी संस्कृति हमें आपस में जोड़ती है तथा व्यक्ति को आदर्श मानव बनाने का प्रयास करती है।क्रमानुसार हमारे भाग्य बदलते रहते हैं। नर की सेवा से ही नारायण की प्राप्ति होती है। हमारा घर ही मंदिर है तथा हमारे माता-पिता ही तीर्थस्थल हैं। द्वितीय सत्र में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक प्रो विकाश कुमार ने मानवीय संबंधों की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि संबंध भावना पर आधारित होती है। इसमें दोनों पक्ष एक- दूसरे के पूरक तथा अन्योन्याश्रित होते हैं।सिर्फ उम्मीदों पर ही संबंध नहीं टिकता,बल्कि इसके लिए कृतज्ञता तथा दोनों की बराबर संतुष्टि आवश्यक है। गलतफहमी से नाराजगी होने पर संबंध टूटता है,पर आपसी बातचीत से संबंध गहरा होता है ।मानवीय संबंध बनाए रखने के लिए दोनों पक्षों को एक-दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखना आवश्यक है। स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभाग के छात्र-छात्राएं एवं शिक्षक, शिक्षिकाएं विभागाध्यक्ष प्रो इंदिरा झा के नेतृत्व में पुअर होम स्थित नेत्रहीन विद्यालय में गए,जहां 40 नेत्रहीन छात्रों के बीच डॉ नं सीमा कुमार ने सामाजिक दायित्व में छात्रों की भूमिका विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।उन्होंने कहा कि दायित्व निर्वहन का पाठ घर से शुरू कर समाज तक करना आवश्यक है। पढ़ने का अभ्यास व्यक्तित्व विकास हेतु आवश्यक है। नेत्रहीन विद्यालय के प्रधानाचार्य राकेश किरण झा ने नेत्रहीन बच्चों की कार्यकुशलता पर विस्तार से प्रकाश डाला।उन्होंने बच्चों का गीत,भाषण तथा परस्पर संवाद के माध्यम से महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को भी परिचित करा करवाया। डा इंदिरा झा ने अतिथि स्वागत किया,डॉ तनिमा कुमारी ने बच्चों को कई खेल खेलाया जो बहुत ही रोचक थे,जिनमें मुन्ना कुमार तथा सूरज कुमार प्रथम स्थान पर रहे,दूसरे स्थान पर गुलशन निर्भय तथा तृतीय स्थान रवि एवं उज्ज्वल ने प्राप्त किया।डॉ अमरेंद्र शर्मा ने चादर तथा गुलदस्ते से अतिथियों का स्वागत किया। डॉ प्रीति कनोडिया ने कार्यक्रम का संचालन किया, जबकि तनिमा कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर डॉ मंजू राय, तुषार,वारिधि,अनुष्का, शुभांगी,अंकुश,उत्सव,शेखर सुमन,निगम और अतुल आदि ने कार्यक्रम में सक्रिय सहयोग किया।अभिभावक की ओर से फरहद जमाल ने अपने संबोधन में कार्यक्रम को बेहतरीन बनाते बताते हुए गजल का गायन किया। स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग के प्रथम सत्र में संसाधन पुरुष के रूप में महाविद्यालय के आइक्यूएसी के कोऑर्डिनेटर डॉ जिया हैदर ने छात्रों से महाविद्यालय की उम्मीद विषय पर विस्तृत चर्चा की।दूसरे सत्र में संसाधन पुरुष के रूप में प्रधानाचार्य डॉ मुश्ताक अहमद ने छात्र एवं कॉलेज प्रशासन के बीच के संबंधों पर प्रकाश डाला।तत्पश्चात् अलग-अलग गतिविधियों में विजयी प्रतिभागियों को प्रधानाचार्य द्वारा पुरस्कार तथा प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ अवनि रंजन सिंह में छात्र- जीवन के मूल्यों पर प्रकाश डाला।कार्यक्रम को सफल बनाने में आयुषी,सुमित झा एवं प्रणव का विशेष योगदान रहा।कार्यक्रम में प्रो रमण बिहारी लाल,डॉ रीना कुमारी, प्रो राघवेंद्र सिंह,प्रो नीरज कुमार,प्रो आचार्य विकाश तथा संयोजक के रूप में प्रो शिप्रा सिन्हा का विशेष योगदान रहा।स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग द्वारा प्रथम सत्र में विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर ध्रुव कुमार का संबोधन कराया गया।उन्होंने कहा कि बच्चों को मनोविज्ञान के क्षेत्र में होने वाले अवसरों एवं विभिन्न प्रकार के कोर्सों से अवगत होना चाहिए। उन्होंने बच्चों को मनोविज्ञान की उपयोगिता एवं रोजगार परखता के बारे में मार्गदर्शन दिया।दूसरे सत्र में मेंटरिंग विद यूनिवर्सल वैल्यू में योग की उपयोगिता एवं महत्व पर संभाषण एवं अभ्यास के द्वारा पवन कुमार सिंह ने बच्चों का मार्गदर्शन किया। तृतीय सत्र में बच्चों ने अपने एक्सपीरियंस को साझा किया तथा आखिरी सत्र में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।अंत में महाविद्यालय द्वारा उपलब्ध फोर्म पर बच्चों से फीडबैक लिया गया।सत्र के दौरान विभागाध्यक्ष प्रो नथुनी यादव,डॉ जिया हैदर,डॉ विजय सेन पांडे,डॉ एकता श्रीवास्तव तथा डॉ पुनीता कुमारी मौजूद रहे।
स्नातकोत्तर हिंदी एवं मैथिली विभाग में संसाधन पुरुष के रूप में डॉ प्रभात कुमार चौधरी ने समाज, साहित्य एवं संस्कृति विषय पर तथा दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ रुद्रकांत अमर ने साहित्य एवं दर्शन विषय पर व्याख्यान दिया। छात्रों ने विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नारायण झा के नेतृत्व में पुस्तकालय,सामान्य विभाग,लेखा विभाग तथा प्रधानाचार्य कक्ष आदि का भ्रमण किया। इस अवसर पर डॉ सुरेश पासवान, डॉ अभिलाषा कुमारी तथा प्रो रागनी रंजन उपस्थित थे।

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