नहीं रहे पद्मश्री से सम्मानित ध्रुपद गायक रामकुमार मलिक, देर रात हुआ निधन।
दरभंगा: पद्माश्री पुरस्कार से सम्मानित अमता घराने के ध्रुपद गायक रामकुमार मलिक का शनिवार की देर रात निधन हो गया। उनके निधन से संगीत जगत के साथ साथ दरभंगा सहित पूरे मिथिला क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गयी है।
दरभंगा जिला के बहेरी प्रखड के अमता गांव निवासी 71 वर्षीय राम कुमार मल्लिक को सरकार ने उन्हें कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। राम कुमार मल्लिक का जन्म 1957 में दरभंगा जिला के बहेड़ी प्रखंड के अमता गांव में हुआ। पंडित राम कुमार मल्लिक अमता घराने (परंपरा) के प्रतिष्ठित संगीत परिवार से आते हैं। वह अपने परिवार के संगीत पीढ़ी को बढ़ाने वाले 12वीं पीढ़ी हैं। पं. राम कुमार मल्लिक ने ध्रुपद संगीत अपने पिता और विश्व प्रसिद्ध ध्रुपद लीजेंड पं. विदुर मल्लिक से विरासत में मिली है।
पंडित मल्लिक अपने दादा लेफ्टिनेंट पंडित सुखदेव मल्लिक से भी ध्रुपद सीखने का अवसर मिला। वह अपना प्रथम गुरु अपने दादा सुखदेव मल्लिक को बताते हैं। वे सुप्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायक भी थे। उन्हें ध्रुपद संगीत की कई रचनाओं की जानकारी प्राप्त थी। उनका गायन अद्वितीय, समृद्ध रचनाओं के भंडार, खंडारवानी और गौरहरवानी के अलावा मीर, गमक, लयकारी और तिहायियों की विविधता के लिए जाना जाता है। उनके उत्कृष्ट संगीत और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में योगदान के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से पहले भी सम्मानित किया जा चुका है।
उनके गायन में ध्रुपद और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत सबसे प्राचीन और शक्तिशाली शैली है, जो आध्यात्मिक युग (अध्यात्म काल) से जुड़ी है। ध्रुपद संगीत एक दिव्य साधना है। जिसे इसकी प्रस्तुति के साथ-साथ संगीत साधना में भी महसूस किया जा सकता है। ध्वनि पूर्णता और संगीत ज्ञान के लिए ध्रुपद वैदिक युग से ही बुनियादी संगीत अभ्यास करते है।
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