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1 week ago

जयंती पर याद किए गए संत विनोबा भावे।

दरभंगा। संत परम्परा को जीवंतता प्रदान करने वाले संत विनोबा भावे की जयंती खादी भंडार के केन्द्रीय कार्यालय बलभद्रपुर में मनाई गई। इस अवसर पर उन्हें हाथ से कटे सूत के माला की सूतांजलि दी गई।

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इस अवसर पर ग्राम स्वराज्य अभियान समिति के सह संयोजक अजीत कुमार मिश्र ने कहा कि विश्व के इतिहास में अहिंसक क्रान्ति भू-दान आन्दोलन के प्रणेता, प्रसिद्ध चिन्तक, मौलिक विचारक, दार्शनिक, ब्रह्मविद्या के उपासक, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी भारत रत्न आचार्य विनोबा, महात्मा गांधी के नेतृत्व में चलने वाले स्वतंत्रता आन्दोलन के बाद देश प्रेम ही नहीं विशुद्ध मानव प्रेम से भरा रचनात्मक आंदोलन चलाने वाले महान दार्शनिक थे।

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सर्वोदय नेता डॉ. वचनेश्वर झा ने कहा कि विनोबा केवल मौलिक विचारक ही नहीं एक महान दार्शनिक भी थे। नारायणजी चौधरी ने कहा कि उनमे अपने विचारो को व्यवहार में लाने की अद्भुत क्षमता थी। मोद नारायण मिश्र ने कहा कि विनोबा के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। खादी ग्रामोद्योग संघ के अध्यक्ष भगवती प्रसाद झा ने कहा की गांधीजी के निधन के बाद उन्होने रचनात्मक कार्यो के साथ भूदान और सर्वोदय आन्दोलन चलाकर समाज को नई दिशा दी।

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इस उपलक्ष्य में उपस्थित खादी ग्रामोद्योग संघ के मंत्री शिवेश्वर झा, संजीव कुमार झा, नन्द किशोर लाल दास, विजय कुमार झा, सत्येंद्र दास, राधे राय, सुनील राय, लालन भाई आदि सभी ने विनोबा के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि विनोबा के अपील पर तथा उनके भू-दान और ग्राम दान आन्दोलन का ऐसा सूत्रपात हुआ कि उनका भू-दान आन्दोलन अहिंसक क्रांतिकारी का देश और दुनियां के लिए मिशाल बन गया। करीब 42 हजार एकड़ भूमि भूदान मे प्राप्त कर उन्होंने भूमिहीनों मे वितरण किया। गांव-गांव में पदयात्रा कर मानव जगत को कत्ल के बजाय करुणा का रास्ता दिखाया।

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वक्ताओं ने कहा कि अहिंसा से हृदय परिवर्तन की मिशाल महात्मा बुद्ध के बाद संत विनोबा भावे के चम्बल के बीहड़ों में कुख्यात डाकुओं के आत्म समर्पण के रूप में नजर आती है। महात्मा बुद्ध ने अंगुलीमाल जैसे खुंखार का हृदय परिवर्तन किया था। उसी प्रकार संत विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण ने अभियान चलाकर चम्बल के डाकुओं का हृदय परिवर्तन किया।

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