संस्कृत विश्वविद्यालय में चल रहे तीन दिवसीय चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव का हुआ समापन।
दरभंगा: संस्कृत विश्वविद्यालय में चल रहे चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव के समापन समारोह में पहुंचे विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने कहा मैं चंद्रगुप्त की धरती से आया हूं। चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव से चंद्रगुप्त की बताई बातें आज के युवाओं तक आसानी से पहुंचेगी। चंद्रगुप्त के संबंध में जितना पढ़ा जाएगा। उतना ही उन्हें लोग जान पाएंगे। चंद्रगुप्त की नीतियां और मिथिला के विचार एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। दरभंगा महाराज ने इस परंपरा को बखूबी निभाया है। आज भी चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव के लिए जिस स्थान का चयन किया गया है उसमें दरभंगा राज के परिसर में स्थित दो-दो विश्वविद्यालयों में से एक में हो रहा है। इस महोत्सव का संदेश दूर तक जाएगा। बतौर विशिष्ट अतिथि भाग ले रहे राधा कृष्ण पिल्लई ने कहा कि चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव लोगों को मौर्य काल का अध्ययन करने के लिए प्रेरित करेगा। मौर्य काल की संस्कृति और सभ्यता अब लुप्त हो रही है। इसे फिर से व्यापक स्तर पर फैलाने की जरूरत है। मैथिली भाषा इसमें सहायक हो सकती है। दुख की बात यह है कि आज के युवा किताबों से दूर हो रहे हैं।
प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल के सदस्य रामाशीष ने कार्यक्रम की सफलता की भूरी भूरी प्रशंसा की। समापन समारोह की अध्यक्षता कर रहे संस्कृत विवि. के कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय ने कहा कि कार्यक्रम को सफल बनाने में राज परिवार का भरपूर सहयोग मिला। इसके लिए राज परिवार का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि साहित्य समारोह की सफलता का आंकलन इस बात से किया जाएगा कि कितने युवाआंे ने अपने पूर्वजों की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए आगे आते है। जबतक युवा और बच्चे अपनी विरासत को भुलाकर चलेंगे अपनी जड़ को ही कमजोर करेंगे। इसलिए अब समय आ गया है कि अपनी विरासत की और तेजी से लौटने के लिए साहित्य को पढ़े और अपने सही इतिहास को जाने। कार्यक्रम का समापन एबीवीपी के विभिन्न स्तर में आयोजित प्रदेश स्तर के तीन विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत वितरण के साथ किया। युवराज कुमार कपिलेश्वर सिंह, मुजफ्फरपुर विवि. के कुलपति के अलावा अन्य लोग उपस्थित थे।
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