Home Featured ढोल पिपहि के स्वर व पाग शोभा यात्रा के साथ दरभंगा महोत्सव का हुआ शुभारंभ।
April 14, 2023

ढोल पिपहि के स्वर व पाग शोभा यात्रा के साथ दरभंगा महोत्सव का हुआ शुभारंभ।

दरभंगा: शुक्रवार को दरभंगा महोत्सव का उद्घाटन कर्पूरी चौक से पाग शोभा यात्रा निकाल कर किया गया। पाग शोभा यात्रा मिथिला के ढोल पिपहि के स्वर गुंजन के साथ कर्पूरी चौक से लहेरियासराय टावर होते हुए बलभद्रपुर स्थित अखिल भारतीय मैथिल महासभा के कार्यालय के सभागार में पहुंची। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में आगत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर मिथिला की भाषा मैथिली के संरक्षण और संवर्धन पर चिंतन सत्र का उद्घाटन किया गया। अतिथियों का मंच पर सम्मान पाग, चादर, स्मृति चिन्ह के रूप में मछली, मखान और पौधे से किया गया।

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कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शशिनाथ झा ने अपने संबोधन में कहा कि मिथिला के लोगों में मैथिलि को छोड़कर अन्य भाषा मुंह और मस्तिष्क में बैठ सकती हैं लेकिन ह्रदय में सिर्फ मैथिली ही समाहित हैं। इसलिए मिथिला के लोगों के ह्रदय से अनेकों बोलियां निकलती हैं लेकिन सबकी भाषा मैथिली ही हैं।

कई कॉलेजों में प्रधानचार्या के पद पर अपनी सेवा देने वाले डॉ प्रो० विद्यानाथ झा ने सभा को संबोधित करते हुए मिथिला के पाग की संरचना पर कई गूढ़ जानकारियां दी जिसमें उन्होंने पाग में कोरिला के प्रयोग कर पाग के आधुनिक पहचान के स्वरुप को सुदृढ़ करने की बात कही। कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पंडित डॉ रामचंद्र झा ने कहा कि मिथिला के विद्वता और साहित्य का विषय इतना गहरा हैं कि इसके तल तक पहुंचना असंभव हैं। मैथिली और मिथिला का इतिहास ग्रन्थों में संकलित हैं। यदि हम अपने ऐतिहासिक ग्रंथों और साहित्य से अनुकरण करें तो हमारी भाषा मैथिली का प्रसार होगा।

वहीं प्रो० मंजर सुलेमान ने कहा कि भाषा मिट्टी की होती हैं। किसी जाति या समुदाय विशेष की नहीं। हमारी मिट्टी की भाषा मैथिली हैं। हम सभी वर्ग और समुदाय के लोग इसी भाषा में अपनत्व महसूस करते हैं। दिलीप मंडल ने अपने संबोधन में मिथिला के विद्वानों से कई अन्य भाषाओं के साहित्य को मैथिली में अनुवाद करने का आग्रह किया जिससे मिथिला के भावी पीढ़ी को अपनी मातृभाषा में कई अहम किताबों को पढ़ने का लाभ मिलेगा।

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अध्यक्षीय भाषण देते हुए डॉ चंद्रशेखर झा ने कहा कि हम सभी को अपने अपने स्तर पर मैथिली को सुदृढ़ करना होगा। मैं आज भी अपने मरीजों से मैथिली में बात करता हूं और उनसे भी अपनी समस्या बताने के लिए मैथिली में बोलने का आग्रह करता हूं। कार्यक्रम में स्वागत भाषण दरभंगा महोत्सव संयोजक अभिषेक कुमार झा ने दिया,संचालन संतोष चौधरी और ललित कुमार ने किया वही धन्यवाद ज्ञापन अजित कुमार ने किया।

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