मनुष्य की गरिमा ही मानवाधिकार का सार : जिला जज।
दरभंगा: मानवाधिकार दिवस का आयोजन एडीआर.-सह- मध्यस्थता केन्द्र, व्यवहार न्यायालय, दरभंगा में आयोजित किया गया। मानवाधिकार दिवस के अवसर पर न्यायालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश-सह-अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार विनोद कुमार तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि मनुष्य की गरिमा ही मानवाधिकार का सार है।
उन्होंने कहा कि मानवाधिकार की अवधारणा भारत के लिए कोई नई नहीं है। हमारे सांस्कृतिक इतिहास में प्राचीन काल में भी मानव के अधिकारों को संरक्षित किया जाता था। आधुनिक युग में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली। 10 दिसंबर 1948 में मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की गई।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा कि हमारे संविधान में इसे स्वतंत्रता, समानता आदि के रुप में सर्वोपरि स्थान प्राप्त है। एडीजे प्रथम रमाकांत ने कहा कि हमें अपने साथ-साथ दूसरों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए भी कार्य करना चाहिए।दूसरी ओर मंडल कारा में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव रंजन देव ने कहा कि मानवाधिकार के तहत काराधीन बंदियों के अधिकारों की सुरक्षा हेतु भी नियम बनाए गए हैं। बंदियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए विधिक सेवा प्राधिकार अधिनियम 1987 में भी प्रावधान किया गया है। जिसके तहत बंदियों को निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराया जाता है।
कार्यक्रम में चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल प्रकाशस्वरूप सिन्हा ने गिरफ्तार व्यक्तियों के अधिकार,महिला एवं पुरुष बंदियों के अधिकार,मुफ्त विधिक सेवा के बारे में विस्तार से बताया।मानवाधिकार दिवस के अवसर पर उप निदेशक जन संपर्क सत्येंद्र प्रसाद द्वारा सूचना भवन दरभंगा में मानवाधिकार के संबंध में शपथ दिलाई गई।
जिलाधिकारी के जनता दरबार में 55 से अधिक मामलों की हुई सुनवाई।
दरभंगा: जिलाधिकारी राजीव रौशन ने अपने कार्यालय कक्ष में जनता के दरबार में परिवादियों से मु…