चंद्रधारी संग्रहालय में बच्चों को बाइस्कोप के माध्यम से करायी गयी सांस्कृतिक यात्रा।
दरभंगा: टेक्नोलॉजी के वर्तमान युग में विलुप्त हो चुके बाइस्कोप का मंगलवार को बच्चों ने खूब आनंद उठाया। बाइस्कोप के जरिए बच्चों ने ना केवल अपनी सांस्कृतिक विरासत को जाना, बल्कि कई ऐतिहासिक धरोहरों से भी रू-ब-रू हुए।
चंद्रधारी व महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय में विरासत जागरुकता संग्रहालय सप्ताह का। पहले दिन शहर के कई स्कूलों के शिक्षक एवं करीब ढाई सौ बच्चों ने बाइस्कोप के माध्यम से सांस्कृतिक यात्रा की। बच्चे बाइस्कोप को देखकर काफी खुश थे। बता दें कि विरासत जागरुकता संग्रहालय सप्ताह के तहत हर दिन स्कूली छात्र-छात्राओं को राज्य के प्रमुख धरोहरों से परिचित कराया जाएगा। साप्ताहिक कार्यक्रम का उद्घाटन एमएलएसएम कॉलेज के एआइएच विभागाध्यक्ष डॉ. भास्कर नाथ ठाकुर ने किया।
चंद्रधारी संग्रहालय के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि बच्चों को अपनी विरासत को जानने की आवश्यकता है। सर्वप्रथम बच्चे अपने घर से ही विरासत को सिखते हैं। माता-पिता से अपने पूर्वजों के बारे में जानते हैं। स्कूल में किताबों से जानकारी पाते हैं। संग्रहालय से उन्हें अपने पूर्व धरोहर की पहचान होती है। विशिष्ट अतिथि डॉ. इंद्र कुमार सुमन ने कहा कि इस प्रोग्राम के माध्यम से स्कूली बच्चों में जागरुकता आएगी। उन्हें क्लास रूम से बाहर निकल कर कुछ नया सीखने को मिलेगा। अध्यक्षता करते हुए सहायक संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. शंकर सुमन ने कहा कि संग्रहालय में ऐसी वस्तुओं को रखा जाता है जो ऐतिहासिक महत्व की होती है। बच्चों को इतिहास भी पढ़ना चाहिए। संग्रहालय इतिहास की प्रयोगशाला होती है। यहां किताबों में पढ़ी चीजों को मूर्त रूप में देखा जा सकता है। उन्होंने छात्रों से संग्रहालय का भ्रमण करने की अपील की। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन तकनीकि सहायक डॉ. अनिल कुमार ने किया। इस अवसर पर ब्रजेंद्र मिश्रा, अनिकेत कुमार समेत दोनों संग्रहालयों के कर्मी मौजूद थे।
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