भारत-नेपाल कमला मैत्री मंच द्वारा कार्यशाला का आयोजन, दोनों देशों की साझा विरासत को बचाने पर मंथन।
दरभंगा: भारत और नेपाल में कमला नदी की सम्पूर्ण संरचना की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए रविवार को भारत-नेपाल कमला मैत्री मंच की कार्यशाला हुई। इसका आयोजन शहर के लक्ष्मीश्वर पब्लिक लाइब्रेरी में हुआ। इसमें कमला नदी की सुरक्षा के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई और कई सुझाव दिये गए।
वक्ताओं ने कहा कि भारत और नेपाल में कमला नदी को मैया अथवा माय के नाम से संबोधन किया जाता है। दोनों देशों में इस नदी को जीवनदायनी भी कहते हैं। खेती-किसानी और सांस्कृतिक विरासत को विकसित करने में कमला नदी की महत्वपूर्ण भूमिका है। वक्ताओं ने साझा विरासत को बचाने, गहराते पेयजल संकट को रोकने एवं पर्यावरण की रक्षा के लिए भारत-नेपाल कमला मैत्री मंच के गठन में दोनों देश के सामाजिक कार्यकर्ताओं के सद्प्रयासों की सराहना की। कार्यशाला में दोनों देशों के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आम सहमति से कमला नदी की सम्पूर्ण संरचना की सुरक्षा एवं संरक्षण के कई सुझाव दिए।
इन सुझावों में क्रमश नेपाल में कमला नदी के जल संग्रहण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हरित पट्टी विकसित करके इसकी सुरक्षा करने, नेपाल के तराई के सिरहा और धनुषा जिला तथा इससे ऊपर शिवालिक पहाड़ी के क्षेत्र के साथ-साथ कमला माय सिन्धुली गढ़ी में कमला के बहाव क्षेत्र का सुदृढ़ीकरण किए जाने के साथ ही इस बहाव वाले चूरे क्षेत्र में हरित पट्टी का विकास किए जाने, भारत और नेपाल में कमला नदी के बहाव क्षेत्र में जहां कहीं भी अतिक्रमण हुआ है, उसे अतिक्रमण मुक्त कराने, भारत के मिथिला क्षेत्र में कमला की नौ धाराओं जिन्हें बाढ़ नियंत्रण के नाम पर बंद कर दिया गया है, उन्हें पुनर्जीवित किए जाने, कमला नदी के बहाव (धारा और उप-धारा) से जुड़े पोखर और चौर जो मृतप्राय हो गये हैं, उन्हें पुनर्जीवित किए जाने, दोनों देशों में कमला नदी के बेसिन में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किए जाने ताकि रासायनिक खाद और कीटनाशक के बढ़ते प्रदूषण को रोका जा सके, भारत सरकार और नेपाल सरकार द्वारा एक संयुक्त कमेटी बनाकर कमला नदी की सुरक्षा और संरक्षण के लिए समग्रता में योजना बनाने के विचार आए।
प्रथम सत्र की अध्यक्षता हृदय नारायण चौधरी व द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात पर्यावरणविद प्रो. विद्या नाथ झा ने की। मौके पर नेपाल से विक्रम यादव ‘जल प्रहरी’ अर्जुन कुमार मंडल, नरेश चन्द्र बर्बरिया, श्याम नारायण यादव और भारत (बिहार) से भूपेंद्र चौधरी, हृदय नारायण चौधरी, अभिनव बॉस, तरुण कुमार मिश्र, रूपम देव, अजित कुमार मिश्र, मनीष कुमार, अभिषेक कुमार झा, मिश्री लाल मधुकर, अभिषेक झा, इंदिरा कुमारी, प्रेम शंकर झा, अमर नाथ चौधरी, राम लोभित चौधरी, शाश्वत मिश्र, मोद नाथ मिश्र, प्रवीण कुमार झा, डॉ. अशोक कुमार सिंह, मनीष झा रघु, धनंजय कुमार, शंकर यादव, संजय कुमार ‘बबलू’, नारायण जी चौधरी आदि थे। कार्यक्रम का संचालन नारायण जी चौधरी ने किया।
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