Home Featured पदाधिकारियों का नेम प्लेट को उर्दू भाषा में भी लिखी जाए : डीएम।
2 weeks ago

पदाधिकारियों का नेम प्लेट को उर्दू भाषा में भी लिखी जाए : डीएम।

दरभंगा: शनिवार को जिला उर्दू भाषा कोषांग द्वारा डीएमसीएच दरभंगा प्रेक्षागृह में कार्यशाला-सह-फ़रोग-ए-उर्दू सेमिनार व मुशायरा का आयोजन किया गया।

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कार्यक्रम का उद्घाटन जिलाधिकारी दरभंगा राजीव रौशन, जिला कल्याण पदाधिकारी आलोक कुमार, उप निदेशक जनसंपर्क सत्येंद्र प्रसाद,उर्दू के विशिष्ट विद्वान डॉ. नदीम अशरफ, एम जे वारसी, डॉ.मोतिउर रहमान ,डॉ. मोजीर अहमद आजाद, डॉ.अहसान आलम के द्वारा शमा रौशन किया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि उर्दू भाषा के विकास के लिए उर्दू निदेशालय मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, बिहार सरकार द्वारा आयोजित कार्यशाला-सह-मुशायरा कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए सभी उर्दू प्रेमियों का हार्दिक अभिनंदन किया।

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उर्दू के प्रेमी जब प्रेमी शब्द इस्तेमाल करता हूँ, प्रेम, ये लगाव और ये अपनापन जब बिना शर्त का होता है,बिना कंडीशन का होता है तो बाते दिल से जुड़ जाती है। उर्दू के लिए उनका स्नेह कोई शर्त से बंधा हुआ नहीं है और न ही किसी परिचय का मोहताज है।

डीएम ने कहा कि उर्दू के कार्यक्रम में कई बार शामिल हुआ हूँ, महफिल की गरिमा देखी है और उर्दू से जुड़े हुए जो विद्वान है,उनके दिलों से निकलती हुई आवाज को मैंने महसूस किया है। मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग निर्देश में यह कार्यक्रम हर वर्ष आयोजित किया जाता है, वह अपनी गरिमा का नया कृतिमान हर वर्ष स्थापित करता है।

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बिहार इस बात पर गौरव करता है कि उर्दू यहां की दूसरी राजभाषा है और उर्दू जानने वाले लोग दरभंगा जिले में बहुत सारे हैं और हम लोग कार्यकलापों में प्रयास करते हैं, पदाधिकारी का नेम प्लेट को उर्दू भाषा में भी लिखी जाए।

डीएम ने कहा कि संस्कृति के विकास में, मानव के यात्रा पड़ाव में,भाषा का बड़ा मोल रहा है, जैसे-जैसे इतिहास के क्रम में लोग आगे बढ़ते गए उन्होंने अपनी संस्कृति को,भाषा,बोली, जुवान के साथ-साथ आगे बढ़ाया है।

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उन्होंने कहा कि अगर आप कहीं भी चाहे देश में हो, विदेश में हो, अपनी बोली बोलने वाले लोग अपनी जुबान से समझने वाले लोग से मुलाकात करते हैं, उनसे बातें करते हैं,उनसे रूबरू होते हैं तो आप एक आत्मीयता का संबंध खुद ही देखते हैं।

आप अपने देश में,अपने राज्य में कई प्रकार की बोलियां बोली जाती है, कई प्रकार के भाषा का इस्तेमाल होता है। यह इस बात को दर्शाता है कि हमारी संस्कृति कितनी समृद्ध रही है, कितनी गौरवशाली रही है।

हमारे यहां संविधान में भी कई सारे भाषा को सम्मान मिला है, अधिकार मिला है, 22 भाषाओं जो आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है,उर्दू इस पर गर्व करेगा कि उसमें शामिल है। उन्होंने कहा कि हम इस प्रकार का आयोजन कर के ये उम्मीद करते हैं कि जो बदलाव है भाषा के क्षेत्र में,देश की संस्कृति के क्षेत्र में,हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए,हमारे वर्तमान पीढ़ी को ध्यान देना चाहिए कि हम आगे बढ़ने के दौर में कहीं अपने बुनियाद से पीछे न हट जाएं। हमारी संस्कृति को हम न भुला दे,अपनी जुबान से कहीं दूर न चले जाए इस बात का ध्यान देने की जरूरत है। यह कार्यशाला, मुशायरा इस बात पर जरूर गौर फरमाएगा की हमारे आने वाली पीढ़ी अपने संस्कृति के साथ चले, संस्कृति की बात करूं तो उसमें तहजीब, भाषा, बोली रहन-सहन हर चीज शामिल होता है। यह हमारे भारतीयता की निशानी है, यह हमारे देश का गौरव है, इसको हम लोग साथ लेकर चले।

नई पीढ़ी के लोग जो उर्दू भाषा में अभिरुचि रखते हैं, वे आगे बढ़ाने का काम करें। कार्यशाला में नई पीढ़ी के एक से एक विद्वान अपनी कला का प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार इस बात पर गर्व कर सकता है कि उर्दू यहां की द्वितीय राज्य भाषा है तथा दरभंगा इस बात पर गर्व कर सकता है कि यहां उसके चाहने वाले बहुत हैं।
उर्दू के विशिष्ट विद्वानों के व्याख्यान,उर्दू डेलिगेट्स का व्याख्यान,उर्दू भाषा के अन्य विद्वानों का व्याख्यान एवं छात्र-छात्राओं ने प्रस्तुति किया।

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