रेल लाईन बेचने के मामले में दरभंगा आरपीएफ ने प्राथमिकी दर्ज कर शुरू की जांच।
दरभंगा: मधुबनी जिले के पंडौल स्टेशन से लोहट चीनी मिल तक बिछायी गई रेल लाईन को बेचने के मामले में दरभंगा आरपीएफ में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी गयी है। हालांकि इस मामले में स्थानीय अधिकारी कुछ भी बताने से परहेज कर रहे हैं। स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में कुछ भी जानकारी देने के लिए वे अधिकृत नहीं हैं।
हालांकि सूत्रों की मानें तो यह पूरा मामला हाई प्रोफाइल होने के कारण कोई भी अधिकारी अपना मुंह खोलना नहीं चाहते हैं। वैसे जानकारों का कहना है कि पंडौल से लोहट तक बिछी रेल पटरी रेलवे की है या चीनी मिल की निजी पटरी है इसका पुख्ता दस्तावेज प्राथमिकी के साथ संलग्न नहीं किया गया है। बताया जाता है कि लोहट चीनी मिल वर्ष 1914 में चालू हुई थी और उसी समय रेल की पटरी भी बिछाई गई थी, जबकि भारतीय रेल का राष्ट्रीयकरण वर्ष 1951 में हुआ था। इससे पूर्व बिछी लोहट चीनी मिल की रेल लाईन को इस तरह निजी माना जा रहा है। इंग्लैंड में वर्ष 1913 में निर्मित रेल इंजन को जब दरभंगा रेलवे स्टेशन के सामने लगाने के लिए लाया गया था उस समय इसका स्वामित्व बिहार गन्ना उद्योग के पास था। समस्तीपुर रेलमंडल के डीआरएम आरके जैन ने 253 नंबर वाले इस इंजन को दरभंगा जंक्शन परिसर में लाने के लिए बिहार सरकार से अनुमति ली थी।
वहीं, वर्तमान में लोहट चीनी मिल को बिहार सरकार ने विभिन्न औद्योगिक कम्पनियों को उद्योग लगाने के लिए दे दिया है। ऐसे में एक कंपनी के कर्मी का कहना है कि हमने बिहार सरकार से लोहट चीनी मिल की जमीन लीज पर ले रखी है। हम उद्योग लगाने के लिए साफ-सफाई कर रहे हैं।
उसी क्रम में इस रेल लाईन को चीनी मिल की सम्पत्ति जानकर हटाया गया है। यदि यह सम्पति रेलवे की है तो रेलवे इस क्षति का आकलन कर हमें बताये, हम उस क्षति की राशि विभाग को जमा कर देंगे।
इस संबंध में आरपीएफ इंस्पेक्टर ब्रजेश कुमार ने बताया कि रेल लाईन को बेचने के मामले में दरभंगा आरपीएफ में मामला दर्ज किया गया है। इस आधार पर इसकी जांच शुरू कर दी गयी है। जांच में जो भी सामने आएगा, उससे वरीय अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा।
बिजली विभाग द्वारा उपभोक्ता शिकायत निवारण शिविर का किया जाएगा आयोजन।
दरभंगा: विद्युत विभाग के महाप्रबंधक (राजस्व) के निर्देशानुसार बहादुरपुर प्रखंड क्षेत्र के …