टूटे हुए फाटक पुल के कारण हर साल बर्बाद हो जाती है सैकड़ो एकड़ की खेती।
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दरभंगा: मिथिला में सामान्यतया बाढ़ की विभीषिका केवल उसी समय आमलोगों को देखने को मिलती है जब बांध टूटता है और पानी घरों एवं सड़कों पर आ जाता है। परंतु कई जगह बांध टूटे बिना सरकार एवं प्रशासन की लापरवाही के कारण भी इसका दंश कई गांवों के लोगों को हर साल झेलना पड़ता है।
ऐसे ही एक लापरवाही का दंश कई सालों से दरभंगा जिले के बहादुरपुर प्रखण्ड अंतर्गत उघरा गांव के लोग झेल रहे हैं। इस लापरवाही के कारण सैकड़ों एकड़ की कृषि योग्य भूमि पर किसानों द्वारा खेती नहीं हो पाती है। यदि किसान फसल लगाते हैं तो फसल तबाह हो जाता है।
दरअसल, किसानों की त्रासदी का असली कारण उघरा पंचायत के कमला नदी पर अंग्रेजों के जमाने का बना फाटक पुल है जो कई वर्षो से टूटा हुआ है। बरसात के मौसम में जब कमला नदी का जलस्तर बढ़ता है तो इस टूटे फाटक से नदी का पानी सैकड़ों एकड़ में फैले कृषि योग्य भूमि को जलमग्न कर देता है और फसल बर्बाद हो जाता है। इतना ही नहीं, जब नदी का जलस्तर कम होता है तो सिंचाई केलिए संरक्षित किया पानी भी फाटक के रास्ते चला जाता है। इसप्रकार किसानों को इसकी दोहरी मार झेलनी पड़ती है।
इसके अलावा इस टूटे फाटक का पानी हर वर्ष टारा चौक के निकट बसे करीब दो सौ महादलित परिवार के घरों में भी प्रवेश कर जाता है। इस बाढ़ के पानी से लोगों के डूबने एवं सर्पदंश जैसी घटनाएं होती रहती है।
स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि इस फाटक का निर्माण इसलिए किया गया था ताकि इसे खोलकर सिंचाई योग्य पानी लिया जा सके और फिर इसे बंद कर दिया जाय। परंतु वर्तमान समय मे इसके टूटे रहने के कारण उघरा के साथ खैरा, जलोखर एवं दाईंग आदि गांवों के किसानों की कृषि योग्य भूमि प्रभावित होती है।
ग्रामीण बताते हैं कि उघरा में अवस्थित कमला मंडप पर बड़ी संख्या में दर्शनार्थी आते हैं। कमला मंडप तक जाने वाले रास्ते को भी यही फाटक पुल जोड़ता है। इस पुल की स्थिति जर्जर होने के कारण कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
ग्रामीणों का कहना है कि बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने गत विधानसभा चुनाव के दौरान इस फाटक पुल का निरीक्षण भी किया था और शीघ्र इसके निर्माण का आश्वासन दिया था। परंतु चुनाव के दो वर्ष बीत जाने के बाद भी निर्माण की दिशा में कोई पहल नहीं हुई। विडम्बना यह भी है कि यहां के स्थानीय विधायक मदन सहनी लगातार बिहार सरकार में मंत्री रहे हैं। उनकी जानकारी में भी मामला रहने के बाबजूद इस ओर विभागीय एवं प्रशासनिक उदासीनता कहीं न कहीं लोगों के आक्रोश का कारण भी बन रहा है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि समय रहते इस फाटक के निर्माण की दिशा में कोई पहल होती है, अथवा विभाग एवं प्रशासनिक पदाधिकारियों के साथ साथ जनप्रतिनिधियों द्वारा भी किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जाता है।
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