शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता : राज्यपाल।
दरभंगा: कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में 46वें अधिषद की बैठक का आयोजन महामहिम राज्यपाल-सह-कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर की अध्यक्षता में आयोजित की गयी।
बैठक में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. शशिनाथ झा द्वारा पुष्पगुच्छ, स्मृति चिन्ह एवं माखान माला से कुलाधिपति महोदय का स्वागत किया गया। साथ ही महामहिम के प्रधान सचिव आरएल चोंग्थू एवं विशेष कार्य पदाधिकारी प्रीतेश देसायी का भी हार्दिक अभिनन्दन किया गया।
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित सीनेट की 46वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए महामहिम कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि यह विद्वत सभा है। सीनेट का कार्य सिर्फ बजट पास करना नहीं है। बल्कि हमसभी की जिम्मेदारी बनती है कि शिक्षण संस्थानों की शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार कैसे हो। इसलिये मेरा मानना है कि शिक्षा में सुधार के लिए अलग से सीनेट की बैठक आयोजित हो जिसमें हमसभी मिलकर सिर्फ व सिर्फ शैक्षणिक वातावरण की बेहतरी पर ही चर्चा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सीनेट की इस विशेष बैठक में वे स्वयं उपस्थित रहेंगे।
महामहिम ने कहा कि सूबे के 13 करोड़ आबादी पर हमें गर्व है। यहां के कौशल्य पर भी हमे नाज है। बिहार के लोगों के बारे में कहा जाता है कि वे बोझ नहीं हैं ,बल्कि बोझ उठाने वाले हैं। फिर भी यहां के बच्चे दूसरे प्रदेशों में जाकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। इस पर हमें चिंतन करने की जरूरत है। अन्यथा आनेवाली पीढ़ी हमें चौराहे पर कोसेगी और कहेगी कि आप तो विश्वविद्यालय चला रहे थे।हमारे लिए क्या किया? ऐसे में बच्चों का कोई दोष नहीं होगा क्योंकि आनेवाली पीढ़ी को संवारने का दायित्व हमारा है। राजभवन, राज्य सरकार व विद्वतजन मिलकर एक नया शैक्षणिक वातावरण बनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हमें राजभवन में आये एक माह होने चला है। ईमेल, फेसबुक, ट्विटर के साथ साथ अन्य माध्यमों से हमें विश्वविद्यालयों की शिकायतें मिल रही हैं। हम स्वयं इस मामले को देख भी रहे हैं। यही कारण है कि मैं सभी विश्वविद्यालयों में खुद जा रहा हूँ ताकि विश्वविद्यालय में सभी कार्य ठीक से हो।
इसी क्रम में महामहिम ने जानना चाहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय में सभी विषयों की पढ़ाई संस्कृत में ही होती है या नहीं। उन्होंने आगाह किया कि अध्ययन व अध्यापन ठीक से हो रहा है या नहीं। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। विश्वविद्यालय परिसर में शिक्षा के बारे में गम्भीरता से सोचेंगे नहीं तो इस जैसा पाप कोई नहीं होगा। क्या छात्रों की 75 फीसदी उपस्थिति सिर्फ दस्तावेजी तो नहीं? इसलिए सभी शिक्षक, पदाधिकारी व अन्य कर्मचारी समेत छात्रों की उपस्थिति बायोमेट्रिक के जरिये बननी चाहिए।
पेंशनभोगियों को बड़ी राहत देते हुए महामहिम ने कहा कि विश्ववविद्यालय में एक अलग से पेंशन सेल गठित होगा जिसकी मोनेटरिंग वे खुद करेंगे। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि सेवानिवृत्ति के वर्षों बाद भी उन्हें सेवान्त लाभ नहीं दिया जा रहा है जो चिंता का विषय है। होना तो यह चिहिये कि जो कर्मी मार्च में सेवानिवृत्त होने वाले हों उनका सेवानिवृति सम्बन्धी सारे कागजात फरवरी में ही यानी एक माह पूर्व ही तैयार हो जाना चाहिए। ऐसी व्यवस्था लागू करने की जरूरत है।
महामहिम ने कहा कि मिथिला की ज्ञान परम्परा का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। क्या यही पूंजी हमारे लिए काफी है? बेहतर तो यह होगा कि उस इतिहास को याद कर वर्तमान व भविष्य की चिंता की जाय। हमसभी मिलकर प्रयास करेंगे तो बेशक इस विश्वविद्यालय का नाम पूरे देश मे होगा।
उन्होंने कहा कि अपने मन की बात वे कुलपति को कह दिए हैं।शैक्षणिक वातावरण सुधारने की जिम्मेदारी हम सभी पर है।
इसके पूर्व उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। विश्वविद्यालय के संस्थापक महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद महामहिम सीनेट की बैठक में शामिल हुए। आगत अतिथियों का स्वागत कुलपति डॉ शशिनाथ झा ने किया। सत्र का संचालन प्रभारी कुलसचिव डॉ दिनांनाथ साह ने किया।
अधिषद में 04 अरब 56 करोड़ 59 लाख 11 हजार 927 रूपये का बजट पारित करने हेतु रखा गया, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
सीनेट की बैठक में प्रति कुलपति डॉ. सिद्वार्थ शंकर सिंह, कुलसचिव दीनानाथ साह, पूर्व कुलपति डॉ. अरविन्द्र कुमार पाण्डेय, डॉ. देवनारायण झा, डॉ. सर्वनारायण झा, निदेशक, शिक्षा विभाग रेखा कुमारी, बेनीपुर के विधायक विनय कुमार चौधरी, नगर विधायक संजय सरावगी, माननीय विधान परिषद् सदस्य डॉ. मदन मोहन झा एवं प्रो. दिलीप कुमार चौधरी सहित सभी सदस्य उपस्थित थे।
सीनेट की बैठक में बजट पर डॉ. रामप्रवेश पासवान, सुनील भारती, रंजीत चौधरी, निलेश कुमार, सुरेश कुमार, बिमल राय, अशोक कुमार, प्रो. अजित कुमार चौधरी, डॉ. प्रकाश चन्द्र यादव ने अपने-अपने विचार रखें।
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