महिलाएं अपने पति की लंबी आयु केलिए करती हैं वट सावित्री व्रत।
दरभंगा: शुक्रवार को ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा है। इस तिथि को वट सावित्री पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। आज सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, संतान प्राप्ति और सुख-सौभाग्य की कामना से व्रत रखते हुए वट (बरगद) वृक्ष का पूजन करती हैं। वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास माना जाता हैं। ऐसी मान्यता है कि इस वृक्ष की पूजा करने से सुख-समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य का पुण्य फल मिलता है और वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत रखने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पंडित प्रभाकर झा के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि का आरंभ 19 मई, शुक्रवार, सुबह से ही हुआ है, जो आज सायं 5:21 मिनट तक रहेगा। उदया तिथि के हिसाब से शुक्रवार को वट सावित्री पूर्णिमा मनाई जाएगी। पूजन का अति शुभ मुहूर्त प्रातः 11 बजे से 12:15 के मध्य रहेगा।
इस पूजा में मान्यताओं के अनुरूप महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान कर अक्सर लाल रंग की साड़ी पहनती हैं। पूजन सामग्री लेकर बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री-सत्यवान की मूर्ति, लाल कलावा, कच्चा सूत, धूप-अगरबत्ती, मिट्टी का दीपक, घी, फल, रोली, मिष्ठान, नारियल, पान, अक्षत, सिंदूर सहित अन्य सामग्री के साथ पूजा करती हैं। इसके बाद वट वृक्ष पर जल चढ़ाएं जाता है। साथ ही कच्चे धागे से वट के वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांधती हैं और फिर महिलाएं सावित्री-सत्यवान के प्रतिमा के सामने रोली, अक्षत, भीगे चने, कलावा, फूल, फल प्रसाद के रूप में अर्पित करती हैं।
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