दंडात्मक नही सुधारात्मक होनी चाहिए किशोर न्याय अधिनियम की अवधारणा: बृजनाथ।
दरभंगा: समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित जिला बाल संरक्षण इकाई एवं मिरेकल फाउंडेशन इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय बाल हित धारकों का प्रशिक्षण सह क्षमतावर्धन कार्यक्रम होटल जयका में आयोजित किया गया। इसमें जिनमें सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों के कई पदाधिकारी, कर्मी, कार्यकर्त्ता शामिल थे।
कार्यक्रम के उदघाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए किशोर न्याय बोर्ड के प्रधान मजिस्ट्रेट बृजनाथ ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम की अवधारणा दंडात्मक नही सुधारात्मक होनी चाहिए। हमारा कोई भी कृत्य बच्चे के सर्वोत्तम हित मे होनी चाहिए जो उसे समाज के उत्तकृष्ट नागरिक बनने मे सहायता करे।
जिला बाल संरक्षण इकाई के उप निदेशक भास्कर प्रियदर्शी ने प्रतभागियों को अपने संबोधन में बताया कि बच्चे के प्रति अपनी भूमिका दायित्व का निर्वहन पूर्ण संवेदनशीलता, अभिभावकत्व एवं प्रतिबद्धता के साथ करनी चाहिए।
क्षमतावर्धन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रम अधीक्षक ने बाल श्रम मुक्त कैसे हो विस्तार से प्रकाश डालते हुए बच्चे को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने की आवश्यकता जताई। सामाजिक कार्यकर्ता अजीत कुमार मिश्र एवम डॉ कुमारी गुंजन ने बताया कि किशोर न्याय पद्धति में बच्चे के हित को सर्वोपरी माना गया है। किशोर न्याय अधिनियम बच्चे की देखरेख सुरक्षा, संरक्षण सुनिश्चित करती है।
मिरेकल संस्था के जितेंद्र कुमार एवं प्रशिक्षक सह वरिष्ठ परामर्शी राम शंकर झा द्वारा उपस्थित प्रतिभागियों को किशोर न्याय अधिनियम की तकनीकी पक्ष को बारीकी से बताया।
क्षमता वर्धन कार्यक्रम में मनोवैज्ञानिक डॉ कुमारी गुंजन, इन्दिरा कुमारी आराधना कुमारी, बाल संरक्षण पदाधिकारी दिनेश कुमार व पंकज सिन्हा, पीओ राघव ठाकुर, सोशल वर्कर, आउट रिच वर्कर चाइल्ड लाइन के कार्यकर्ता सहित स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
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