Home Featured नए एमवी एक्ट के विरोध में चालकों का हड़ताल दूसरे दिन भी रहा जारी, चरमरायी यातायात व्यवस्था।
January 2, 2024

नए एमवी एक्ट के विरोध में चालकों का हड़ताल दूसरे दिन भी रहा जारी, चरमरायी यातायात व्यवस्था।

दरभंगा: नए एमवी एक्ट के विरोध में बस और ट्रक चालकों की तीन दिवसीय हड़ताल के दूसरे दिन मंगलवार को भी जिले में यातायात व्यवस्था चरमरायी रही। जिले की अधिकतर सड़कों पर इसका असर देखा गया। दरभंगा-कुशेश्वरस्थान और अतरबेल-जाले स्टेट हाईवे पर वाहन चालकों ने सड़क को जाम कर दिया। इससे निजी वाहन भी गंतव्य की ओर नहीं जा सके। दोपहिया वाहन चालकों को भी रास्ता बदलकर जाते देखा गया।

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बस चालकों की हड़ताल से जहां यात्रियों को गंतव्य तक जाने में भारी परेशानी हुई, वहीं ट्रक चालकों के हड़ताल पर रहने से आवश्यक वस्तुओं की कमी होने की आशंका बढ़ गयी है। उधर, चालकों ने बेनीपुर के मुख्य बस स्टैंड धरौड़ा एवं नारबांध में घंटों सड़क जाम कर केंद्र सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी की। सड़क जाम के कारण यात्रियों को भारी फजीहत झेलनी पड़ी। हालांकि आंदोलनकारियों ने एंबुलेंस एवं दूध के वाहन को जाम से मुक्त रखा था।

धरौड़ा में सुबह करीब नौ बजे से ही चालकों ने एसएच-56 पर धान लदा ट्रक खड़ा कर सड़क को जाम कर दिया। छोटे-छोटे वाहनों को भी सड़क को पूर्णत जाम करने के लिए ट्रक के दोनों तरफ लगा दिया। जाम का आलम यह था कि यात्री पैदल भी पार नहीं कर पा रहे थे। आंदोलनकारी केंद्र सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे थे। बहेड़ा थाना क्षेत्र के नारबांध के पास भी आंदोलनकारियों ने सड़क पर टायर जलाकर जाम किया तथा केंद्र सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी की। इससे सड़क पर वाहनों की लंबी कतार लग गई। यात्री अपने सामान को सिर पर उठाकर गंतव्य स्थान के लिए रवाना हुए। सड़क जाम समाप्त करवाने में पुलिस को भारी मशक्कत करनी पड़ी।

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आंदोलनकारी ड्राइवर रामजनक पासवान, इंद्र कुमार राम, अमरनाथ मंडल, सुशील पासवान, शाहनवाज खान व शंकर सहनी ने कहा कि नया कानून ड्राइवरों को परेशान करने के लिए बनाया गया है। हादसे के बाद अगर ड्राइवर रुकता है और पीड़ित को अस्पताल पहुंचाने के बारे में विचार करता है तो भीड़ उसे पीट-पीटकर मार डालेगी। अगर नए कानून के तहत घटनास्थल पर ड्राइवर नहीं रुकता है तो फिर 10 साल की सजा होगी। नए कानून की दोहरी तलवार पर चलना ड्राइवर के लिए नामुमकिन है। पुराने कानून में दो साल की सजा मिलने का प्रावधान था।

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