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November 21, 2023

पयर्टन एवं रोजगार का साधन बन रहा है मिथिला हाट, भनसा घर का भोजन दिला रहा है नानी दादी के हाथ के स्वाद की याद।

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विशेष रिपोर्ट: अभिषेक कुमार

मधुबनी का मिथिला हाट न केवल मिथिला बल्कि पूरे बिहार की पहचान बनता जा रहा है। यह केवल मिथिला एवं बिहार के लोगों को ही नहीं, बल्कि अन्य प्रदेशों एवं नेपाल तक के लोगो को आकर्षित कर रहा है। लोकार्पण के महज साल भर के अंदर इसकी ख्याति ऐसी फैली कि यह अब देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शुमार होने की राह पर है।

काम की भाग-दौड़ और शहर के शोर-शराबे से दूर शांति और सुकून के पल गुजारने केलिए अबतक मिथिला के लोग भी अन्य प्रदेशों के विभिन्न स्थलों पर जाते थे। पर अब देश विदेश में भी रहने वाले मैथिलों की पहली पसंद मिथिला हाट बनता जा रहा है।

मधुबनी जिले के अररिया संग्राम बाजार स्थित मिथिला अर्बन हाट का भनसा घर मिथिला के सभी प्रकार के व्यंजनों का स्वाद एक छत के नीचे प्रदान कर रहा है। यहां लकड़ी के चूल्हे पर बना पारंपरिक भोजन आगंतुकों को नानी-दादी के गांव और उनके हाथ का स्वाद याद दिला रहा है। लोकगीत व नृत्य का भी आनंद लिया जा सकता है।

बिहार सरकार की ओर से इस वर्ष जनवरी में शुरू किया गया अर्बन हाट लोगों के रोजगार का माध्यम तो बना ही है, साथ ही इससे यहां की आर्थिक स्थिति भी बदल रही है।

मिथिला अर्बन हाट में प्रवेश करते ही ग्रामीण व आधुनिक व्यवस्था के मिश्रण से तैयार अद्भुत संसार दिखता है। मिट्टी की दीवार और उसपर बनी मधुबनी पेंटिंग आकर्षित करती है। यहां के भंसाघर में मिथिला के लजीज व्यंजनों का स्वाद भी मिलता है। लकड़ी के चूल्हे पर मक्का, मडुआ व चावल की रोटियां बनती हैं। इसका आटा जांता में हाथ से पीसकर तैयार किया जाता है। मसाला सिलबट्टे पर पीसा जाता है। भात (चावल) बनाने के लिए ढेकी में धान की कुटाई होती है। यह सभी कार्य ग्रामीण महिलाएं करती हैं।

मिट्टी से तैयार दीवारें और फूस के छप्पर वाले भंसाघर के आंगन में तुलसी चौरा अलग एहसास कराता है। मिट्टी की दीवारों पर मिट्टी कला के नमूने देखने को मिलते हैं। मचिया पर भोजन करने का आनंद लिया जा सकता है।

भोजन व पानी पीतल के बर्तन में ही परोसा जाता है। कुल्हड़ वाली चाय के साथ लिट्टी चोखा भी है। 26 प्रकार के मिथिला के व्यंजन यहां उपलब्‍ध हैं।
स्थानीय कलाकारों को रोजगार मिले, इसके लिए यहां प्रत्येक रविवार मिथिला के लोकगीत, नृत्य से जुड़ा सांस्कृतिक कार्यक्रम होता है। यहां 50 स्टाल स्थानीय कलाकारों को निशुल्क उपलब्ध कराए गए हैं, जहां मधुबनी पेंटिंग, सिक्की व पेपरमेशी कलाकृतियों की बिक्री होती है। यहां कलाकृतियां कैसे बनती हैं, यह देख और सीख सकते हैं। हाट में घूमने के लिए ट्वाय ट्रेन है। तालाब में बोटिंग की सुविधा है। यहां देशभर से लोग पहुंच रहे हैं।

मिथिला अर्बन हाट निर्माण के सूत्रधार बिहार सरकार के जल संसाधन सह सूचना जनसंपर्क विभाग के मंत्री संजय कुमार झा का यहां पैतृक गांव भी है। उन्होंने ही सर्वप्रथम जल संसाधन विभाग से परिसर अवस्थित करीब 18 एकड़ में फैले तालाब का सौंदर्यीकरण करवाया। साथ ही दिल्ली के दिल्ली हाट की तर्ज पर मिथिला हाट के निर्माण की योजना बनाई। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को स्थल का निरीक्षण करवाया और मिथिला अर्बन हाट को राज्य सरकार द्वारा विकसित करने का आग्रह किया। इसके बाद युद्धस्तर पर कार्य शुरू हुआ और गत 11 जनवरी 2023 को समाधान यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका लोकार्पण किया और आमलोगों केलिए इसे खोल दिया गया।

छठ की पूर्व संध्या पर मिथिला हाट के निरीक्षण में पहुंचे मंत्री संजय झा ने शुरू हुए सुविधाओं एवं निर्माणाधीन कार्यो के प्रगति की पूरी जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने आगंतुकों के साथ भनसा घर मे बैठ मिथिला के पारंपरिक भोजन का भी लुफ्त उठाया।

निरीक्षण के क्रम में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि मिथिला हाट में अभी तक 250 लोगों को रोजगार मिला है। इनमें 150 से अधिक कर्मी स्थानीय हैं। इनमें महिलाओं की संख्या 50 से अधिक है। रसोइया भी स्थानीय महिलाएं हैं।

मिथिला हाट घूमने पहुंचे युवा आशीष, मुकेश, मनोज एवं सान्या आदि ने बताया कि उन्हें इंटरनेट मीडिया के माध्यम से मिथिला हाट की जानकारी मिली। इसके बाद उनलोगों ने घूमने का प्लान बनाया। यहां आकर वास्तव में उन्हें काफी अच्छा लगा।

वहीं दरभंगा से पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता पंकज झा ने बताया कि पुराने समय मे हमारी ग्रामीण परंपरा कितनी समृद्ध थी, इसकी झलक यहां दिखती है। नेपाल से आये पेशे से फोटोग्राफर नवीन ने बताया कि यहां बड़े शहरों की तरह घूमने के लिए बेहतर स्पॉट जैसा नजारा देखने को मिल रहा है। यहां आनेवाले युवा पारंपरिक व्यंजन की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

भनसा घर मे काम कर रही महिलाओं ने बताया कि भोजन बनाने में इस तरह रोजगार मिल सकता है, सोचा नहीं था। इससे उनके परिवार की मदद हो रही है।

भंसाघर के प्रबंधक गगन झा व कैशियर कृष्णा झा ने बताया कि इलाके के सब्जी व दूध उत्पादकों को भी रोजगार मिला है। हाट तक पहुंचने के लिए आटो, ई-रिक्शा व अन्य वाहन चालकों को रोजगार मिलने लगा है। रोजाना एक हजार से अधिक लोग पहुंच रहे हैं।

मिथिला अर्बन हाट के प्रबन्धक गोविंद झा बताते हैं कि जल संसाधन मंत्री संजय झा के प्रयास से यह काम हुआ है। पर्यटन को बढ़ावा देने और लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार की ओर से इसका निर्माण कराया गया। जल संसाधन विभाग ने पहले पोखर का सौंदर्यीकरण कराया। मुख्यमंत्री ने इसी वर्ष 11 जनवरी को इसका उद्घाटन किया था। हाट की सुरक्षा व्यवस्था के लिए 100 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। यहां एक बड़े हाल में छोटे-बड़े पार्टी व आयोजन की भी सुविधा है।

कुल मिलाकर कहा जाए तो मिथिला अर्बन हाट मिथिला की संस्कृति को संरक्षित करने के साथ साथ आज युवाओं को मिथिला के समृद्ध संस्कृति से परिचित करवा रहा है। साथ ही मिथिला क्षेत्र में पर्यटन एवं रोजगार का बढ़िया साधन बनने का उदाहरण भी बनकर उभर रहा है।

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